नागरिकता विधेयक के खिलाफ हैं वैज्ञानिक और विद्वान् दायर की याचिका

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नई दिल्ली : लोकसभा में पारित नागरिकता संशोधन विधेयक के वर्तमान स्वरूप को वापस लेने की मांग को लेकर एक हजार से अधिक वैज्ञानिकों और विद्वानों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। जानेमाने शिक्षाविद् प्रताप भानु मेहता ने कहा है कि इस कानून से भारत एक “असंवैधानिक नस्लीतंत्र” में बदल जाएगा। लोकसभा में इस विधेयक पर सात घंटे से भी अधिक समय तक चर्चा हुई थी। नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी – हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। याचिका में कहा गया है, ”चिंताशील नागरिकों के नाते हम अपने स्तर पर वक्तव्य जारी कर रहे हैं ताकि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को सदन पटल पर रखे जाने की खबरों के प्रति अपनी निराशा जाहिर कर सकें।

याचिका पर हस्ताक्षर विधेयक सदन में रखे जाने से पहले किए गए थे।

याचिका में कहा गया,”विधेयक के वर्तमान स्वरूप में वास्तव में क्या है यह तो हमें पता नहीं है इसलिए हमारा वक्तव्य मीडिया में आई खबरों और लोकसभा में जनवरी 2019 में पारित विधेयक के पूर्व स्वरूप पर आधारित है। याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में हार्वर्ड विश्वविद्यालय, मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान समेत कई प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े विद्वान शामिल हैं।

नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि अगर ये विधेयक पारित हुआ तो वह सविनय अवज्ञा करेंगे। मंदर ने ट्वीट किया, “मैं आधिकारिक रूप से एक मुस्लिम के रूप में पंजीकरण करूंगा। इसके बाद मैं एनआरसी को कोई भी दस्तावेज देने से इनकार कर दूंगा। फिर मैं बिना दस्तावेज वाले मुस्लिम की तरह ही सजा की मांग करूंगा… हिरासत केंद्र और नागरिकता वापस ले लेना। इस सविनय अवज्ञा में शामिल होइए।”

प्रताप भानु मेहता ने कहा नागरिकता विधेयक भारत को एक ‘नस्लवादी तंत्र में बदल देगा। शिक्षाविद् रामचंद्र गुहा ने गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना की और उन पर आरोप लगाया कि उन्हें मोहम्मद अली जिन्ना के दो राष्ट्र के सिद्धान्त से कोई ऐतराज नहीं। CAB में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए उन गैर-मुसलमानों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो। उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा। विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है। अब इसे बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।

नागरिकता संशोधन बिल: पूर्वोत्तर में उबाल, त्रिपुरा में 48 घंटे के लिए इंटरनेट बंद; कांग्रेस देशभर में आज करेगी प्रदर्शन

नागरिकता संशोधन विधेयक का पूर्वोत्तर में भारी विरोध है। लोकसभा से बिल पास होने से नाराज लोग 10 दिसंबर को सड़कों पर उतर आए और गुस्से का इजहार किया। असम, मणिपुर, त्रिपुरा में संगठनों ने बंद बुलाया। सुरक्षाबलों के साथ हिंसक झड़प भी हुई। त्रिपुरा में प्रदर्शनकारियों ने गैर आदिवासियों की दुकानों में आग लगा दी।

असम में ऑल स्टूडेंट्स यूनियन, नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन, वामपंथी संगठनों-एसएफआई, डीवाईएफआई, एडवा, एआईएसएफ और आइसा ने 11 घंटे बंद बुलाया। इस दौरान बाजार, स्कूल-कॉलेज और वित्तीय संस्थान बंद रहे। डिब्रूगढ़ और जोरहाट में आगजनी भी हुई। मालीगांव क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों ने सरकारी बसों पर पत्थरबाजी की और एक बाइक को आग के हवाले कर दिया। असमी फिल्म कलाकारों ने चांदमारी क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन किया। उधर, दिल्ली में भी बिल के खिलाफ लोगों ने मंगलवार को जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन में जेएनयू, डीयू और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों समेत कई नौकरीपेशा लोग भी शामिल हुए।

त्रिपुरा : प्रदर्शनकारियों ने बाजार में आग लगाई

त्रिपुरा में आंदोलन की वजह से सड़क और रेल यातायात पूरी तरह ठप रहा और हजारों यात्री फंस गए। बंद समर्थक कार्यकर्ताओं ने वाहनों और गाड़ियों को आगे नहीं बढ़ने दिया। प्रदर्शनकारियों ने धलाई जिले के एक बाजार में आग लगा दी। इस बाजार में ज्यादातर दुकानों के मालिक गैर-आदिवासी हैं। बाजार में सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं, लेकिन इस घटना से गैर-आदिवासी लोगों के मन में भय है, जो ज्यादातर दुकानों के मालिक हैं। एक आधिकारिक सूचना में कहा गया है कि त्रिपुरा में शरारती तत्वों द्वारा अफवाहों को फैलाने से रोकने के लिए मंगलवार अपराह्र दो बजे से 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई है।

मणिपुर : 15 घंटे के बंद से जनजीवन प्रभावित

मणिपुर में अखिल मणिपुर छात्र संघ ने 15 घंटे का बंद बुलाया। राज्य के कई हिस्सों में जनजीवन प्रभावित रहा। दुकानें एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे लोगों का कहना है कि बिल से स्थानीय समुदायों की पहचान को खतरा होगा।

मिजोरम : सड़कों पर नहीं दिखे वाहन

मिजोरम में 10 घंटे लंबे बंद के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सरकारी कार्यालय, बैंक, शिक्षण संस्थान, दुकानें और बाजार बंद रहे। सुरक्षा बलों के वाहनों को छोड़कर सभी प्रकार के वाहन सड़कों से नदारद रहे।

असम : जानू बरुआ ने फिल्म महोत्सव से फिल्म वापस ली

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता जानू बरुआ ने कैब के विरोध में अपनी फिल्म भोगा खिड़की (टूटी खिड़की) को असम फिल्म महोत्सव से वापस ले लिया। असमी भाषा में बनी इस फिल्म का निर्माण अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के बैनर ने किया है। बरुआ ने कहा, सत्ता की राजनीति के लिए नेता मातृभूमि की इज्जत को तार-तार कर रहे हैं।

ऐलान : कांग्रेस देशभर में आज प्रदर्शन करेगी

नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ कांग्रेस ने बुधवार (11 दिसंबर) को देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को पत्र लिखकर नागरिकता बिल के इसके पुरजोर विरोध करने का आह्वान किया। पत्र में प्रियंका गांधी ने कहा है कि भारत के संविधान को नष्ट करने से हर धर्म जाति और संस्कृति की सुरक्षा पर आंच आएगी। हमारा कर्तव्य है कि हम देश के संविधान को नष्ट कर संघ का विधान ना लागू करने दें। कांग्रेस कार्यकर्ता देश की प्रत्येक सड़क, शहर, कस्बे और कचहरी से लेकर संसद तक लड़ने का संकल्प लें।

इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि हम सरकार के उस एजेंडे के खिलाफ लड़ेंगे जो हमारे संविधान को व्यवस्थित ढंग से खत्म कर रहा है तथा उस बुनियाद को खोखला कर रहा है जिस पर हमारे देश की नींव पड़ी।

पार्टी के वरिष्ठ नेता हिस्सा लेंगे: वहीं, कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सभी महासचिवों को पत्र लिखकर कहा है कि बुधवार को सभी प्रदेशों की राजधानियों में धरना-प्रदर्शन का आयोजन करें। इसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता भी हिस्सा लें।

राहुल गांधी, कांग्रेस नेता: नागरिकता संशोधन विधेयक संविधान पर हमला है। जो कोई भी इसका समर्थन करता है वो हमारे देश की बुनियाद पर हमला कर रहा है और इसे नष्ट करने का प्रयास कर रहा है।

पी.चिदंबरम, पूर्व वित्त मंत्री: नागरिकता संशोधन विधेयक पूरी तरह असंवैधानिक है। लोकसभा ने उस विधेयक को पारित किया जो असंवैधानिक है और अब लड़ाई उच्चतम न्यायालय में होगी।

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