नई दिल्ली: किसी भी व्यक्ति की किस्मत कब बदल जाए, इसका कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता। एक पल में राजा तो कोई एक पल में रंक बन जाता है। तिरुवनंतपुरम के रहने वाले बी. रत्नाकरण पिल्लई भी ऐसे ही किस्मत के धनी हैं। पिछले साल उन्हें 6 करोड़ की लॉटरी लगी थी। पिल्लई ने लॉटरी में जीते हुए कुछ पैसों से इस साल सब्जी की खेती के लिए जमीन खरीदने का फैसला किया और उसमें पैसा निवेश कर दिया। 66 साल के पिल्लई पर एक बार फिर उनकी किस्मत मेहरबान हुई और जिस जमीन को उन्होंने खरीदा था उससे भी वो मालामाल हो गए।
खेती की जमीन से भी निकला खजाना
दरअसल, जिस जमीन को उन्होंने खेती के लिए खरीदा था उससे भारी मात्रा में खजाना हाथ लगा। इस खजाने में कई बहुमूल्य सिक्के और अलग-अलग मुद्राएं थीं।
मंदिर के पास दफन था खजाना
इन सिक्कों को लेकर जानकारी सामने आई कि ये त्रावणकोर के तत्कालीन साम्राज्य का धन था जो उस खेत में मिट्टी के नीचे दफन हो गया था। जमीन के जिस टुकड़े से यह खजाना पिल्लई को बरामद हुआ वो एक पुराने कृष्ण मंदिर के बगल में स्थित है, जिसे थिरुपलकदल श्री कृष्ण स्वामी क्षेठ्राम के नाम से जाना जाता है। उस बक्से में मौजूद सिक्कों और मुद्राओं की जब गिनती की गई तो उसका कुल वजन 20 किलो 400 ग्राम था जबकि प्राचीन सिक्कों की संख्या 2,595 थी। इतने सालों तक मिट्टी के नीचे दफन रहने के बावजूद लगभग सभी सिक्कों की पहचान त्रावणकोर के दो महाराजाओं के शासनकाल से की गई। पिल्लई के मुताबिक वो इन सिक्कों को राज्य सरकार को सौंप देंगे, क्योंकि केरल ट्रेजर एक्ट, 1968 की धारा 3 के तहत उन्हें ऐसा करना पड़ेगा। इस नियम के तहत किसी भी खजाने का खोजकर्ता जो 25 रुपये की राशि या मूल्य से अधिक है या ऐतिहासिक, पुरातात्विक या कलात्मक ब्याज का है उसे सरकारी खजाने में जमा कराना होगा। इन सिक्कों की कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है।