अयोध्या पर आएगा अहम फैसला,जानें अब तक की पूरी खबर

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील अयोध्या विवाद (Ayodhya Case) मामले में शनिवार को फैसला सुनायेगा. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi), जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ , जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की 5 सदस्यीय बेंच शनिवार की सुबह साढ़े दस बजे यह फैसला सुनाएगी.

  • अयोध्या मामले में कल सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला
  • शनिवार सुबह 10:30 बजे SC सुाएगा फैसला
  • राम जन्मभूमि विवाद पर कल आएगा फैसला
  • पांच जजो की बेच सुनाएगी फैसला
  • अयोध्या के चप्पे चप्पे पर सुरक्षा की कडे इंतजाम
  • तीन दिन तक स्कूल कॉलेज बंद रहेंगे
  • माहौल खराब करने वालो पर पैनी नजर

अयोध्या मामले में रोज़ाना सुनवाई 16 अक्टूबर बुधवार को शाम पांच बजे पूरी हुई. सुनवाई के 40वें दिन CJI रंजन गोगोई ने कुछ और अर्जियों पर सुनवाई से इनकार कर दिया. आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक को लेकर चल रहा विवाद करीब 500 साल पुराना है। माना जाता है कि इस विवाद की शुरूआत 1528 में तब हुई थी जब बाबर ने राम मंदिर को गिराकर वहां मस्जिद का निर्माण कराया था। इसी वजह से इसे बाबरी मस्जिद कहा जाने लगा । विवादित स्थल पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के लोंगो में मालिकाना हक का विवाद सबसे पहले 1813 में शुरू हुआ, जब हिंदुओं ने इस पर अपने हक की आवाज उठाई।

जानते हैं कि अभी तक अयोध्या मामले में कब और क्या हुआ?

कहा जाता है कि 1853 में पहली बार इस जगह के पास सांप्रदायिक दंगे हुए थे.

1885 में  निर्मोही अखाड़े के महंत रघुबर दास ने राम चबूतरे पर मंदिर बनाने की इजाजत मांगी . यह मांग खारिज हो गई.

1946 में विवाद उठा कि बाबरी मस्जिद शियाओं की है या सुन्नीयों की. फैसला हुआ कि बाबर सुन्नी था इसलिए सुन्नीयों की मस्जिद है.

1949 में मस्जिद में राम सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां रख दी गईं. जिसके बाद यह संपत्ति कुर्क कर ली गई।

अब इस जमीन के लिए अदालती लड़ाई का एक नया दौर शुरू होता है. इस तरीक़ी मुकदमे में जमीन के सारे दावेदार 1950 के बाद के हैं.

1950 में को गोपाल दास विशारत

1959 में निर्मोही अखाड़ा

1961 में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और

1989 में वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल अदालत पहुँचे और वहां अपना दावा पेश किया.

1986 में जिला जज ने जन्मभूमि का ताला खुलवा के पूजा की इजाजत दे दी. जिसके खिलाफ बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाने का फैसला भी हुआ.

अब दौर शुरू होता है राम मंदिर पर राजनैतिक सरगर्मी का

25 सितंबर 1990: बीजेपी ने सोमनाथ से एक रथ यात्रा शुरू की इसे अयोध्या तक जाना था. जिसके कारण देश के कई राज्यों में दंगे भड़क गए. ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए.

6 दिसंबर 1992 ही वो तारीक़ है जब लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी. कारसेवक मस्जिद के गुम्बद पर चढ़े और उसे गिरा दिया जिसकी वजह से देशभर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे. हाईकोर्ट ने इस जगह पर

2003 में खुदाई करवाई, जिसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि उसमें मंदिर से मिलते जुलते अवशेष मिले हैं.

न्याय मिलने में क्यों हुई देर

2009 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जांच करने वाली लिब्रहान आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी।

2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच ने अयोध्या में विवादित जमीन को बराबर बांटने का फैसला किया।

2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई.

रोजाना शुरू हुई सुनवाई 

6 अगस्त 2019: अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मध्यस्थता से कोई नतीजा नहीं निकल सका. जिसके बाद 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई.

देश के सबसे संवेदनशील और चर्चित मामलों में शामिल अयोध्या केस की सुप्रीम कोर्ट में प्रतिदिन चल रही सुनवाई पर ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि अक्टूबर माह के अंत या इस माह के शुरूआती हफ्ते तक इस बहु प्रतीक्षित केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाएगा।  अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट शनिवार को फैसला सुनाएगा। सुबह साढ़े दस बजे फैसला सुनाए जाने की संभावना है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ द्वारा फैसला सुनाए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर शुक्रवार देर शाम नोटिस अपलोड किया गया। अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाली पांच सदस्यीय पीठ में शामिल सभी जजों की सुरक्षा बढ़ाई गई है।

सीजेआई ने यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी से ली कानून-व्यवस्था की जानकारी

फैसले से पहले प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी और पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को बुलाकर राज्य और खासकर अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था। सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की दोपहर में करीब डेढ़ घंटे बैठक चली। सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश के चैंबर में हुई इस बैठक में संविधान पीठ में शामिल अन्य जज भी मौजूद थे।

अयोध्या में 10 दिसंबर तक धारा 144 लागू, संवेदनशील स्थलों की बढ़ी सुरक्षा

अयोध्या में 10 दिसंबर तक के लिए धारा 144 लगा दी गई है। इसके अलावा मथुरा और काशी समेत प्रदेश के सभी संवेदनशील स्थलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। संवेदनशील स्थलों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त जवानों को लगाया गया है।केंद्र सरकार की तरफ से सभी राज्यों को सुरक्षा को लेकर एडवाइजरी जारी की गई है। फैसले को देखते हुए सभी से अत्यधिक सतर्क रहने को कहा गया है। संवेदनशील स्थलों की सुरक्षा बढ़ाने के भी निर्देश दिए गए हैं।

भारत के प्रधान न्‍यायधीश रंजन गोगोई की रिटायरमेंट का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे कुछ मामलों पर फैसला देने की घड़ी भी नजदीक आ गई है।

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