गोताबेया राजपक्षे होंगे श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति

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  • एसएलपीपी के उम्मीदवार थे गोताबेया राजपक्षे 

  • 1.6 करोड़ मतदाताओं में से 80 प्रतिशत ने किया था मतदान

  • उत्तरी प्रांत में मतदान प्रतिशत लगभग 70 था

कोलंबो,श्रीलंका: पोडुजाना पेरमुना (एसएलपीपी) के उम्मीदवार गोताबेया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) श्रीलंका के नए राष्ट्रपति होंगें। उन्हें 53 से 54 फीसद वोट मिले हैं। वहीं, न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) के साजित प्रेमदासा दूसरे स्थान पर हैं।  बता दें कि श्रीलंका में शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान हुआ था. श्रीलंका में कुल 25 जिले हैं, जो नौ प्रांतों में हैं. श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए शनिवार को करीब 1.6 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 80 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। यह प्रतिशत 2015 के राष्ट्रपति चुनाव से थोड़ा कम है, जब औसत मतदान प्रतिशत 81.52 प्रतिशत दर्ज हुआ था। 

जानिए कौन हैं श्रीलंका के नए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे

श्रीलंका में गृहयुद्ध के दौरान विवादित रक्षा सचिव रहे गोटबाया राजपक्षे ने रविवार को राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज की। राजपक्षे की विजय के बाद श्रीलंका में एक बार फिर चीन की गतिविधियों के बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। दरअसल, पूरे राजपक्षे परिवार का चीन के प्रति झुकाव जगजाहिर है। 

तमिल और मुस्लिम बाहुल्य प्रांतों में हारे राजपक्षे:

गोटबाया राजपक्षे 52.25 फीसदी वोटों से राष्ट्रपति चुनाव जीते हैं। उन्होंने अधिकांश सिंहल बहुल वाले दक्षिणी जिलों में जीत हासिल की है जबकि तमिल बहुसंख्यक वाले गृह युद्ध से प्रभावित उत्तरी प्रांत और मुस्लिम बहुल पूर्वी प्रांत में 65 से 70 फीसदी वोटों से हार गए। 

भारत से गोटबाया राजपक्षे का पुराना नाता – 

गोटबाया का भारत से पुराना नाता रहा है। उन्होंने 1980 में असम में उग्रवाद विरोधी अभ्यास में हिस्सा लिया था। वर्ष 1983 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की। बतौर रक्षा सचिव वह 2012 और 2013 में भारत की यात्रा पर आए थे।

गोटबाया प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं

गोटबाया का जन्म 20 जून, 1949 को मतारा जिले के पलटूवा में हुआ था। नौ भाई-बहनों में पांचवें नंबर के गोटबाया श्रीलंका के प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता डी.के. राजपक्षे प्रतिष्ठित राजनेता होने के साथ ही श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के संस्थापक सदस्य भी थे। गोटबाया 1971 में बतौर कैडेट अफसर सीलोन आर्मी में शामिल हुए थे। वर्ष 1991 में गोटबाया सर जॉन कोटेलवाला रक्षा अकादमी के उप कमांडेंट नियुक्त किए और 1992 में सेना से सेवानिवृत्त होने तक इस पद पर बने रहे। 20 वर्षों की सैन्य सेवा के दौरान उन्हें श्रीलंका के तीन राष्ट्रपति जे.आर. जयवर्धने, रणसिंघे प्रेमदासा और डी. बी. विजेतुंगा से वीरता पुरस्कार प्राप्त हुए। 

गोटबाया श्रीलंका की दोहरी नागरिकता ली है:-

सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद 1992 में गोटबाया ने कोलंबो विश्वविद्यालय से सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) में परास्नातक की डिग्री हासिल की। वर्ष 1998 में अमेरिकी सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवर के तौर पर लॉस एंजिलिस स्थित लोयला लॉ स्कूल में काम किया। गोटबाया 2005 में भाई महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति चुनाव अभियान में मदद करने के लिए स्वदेश लौटे और श्रीलंका की दोहरी नागरिकता ली। इसके बाद 2005 से 2014 तक रक्षा सचिव की जिम्मेदारी निभाई। 

लिट्टे के खात्मे में ‘टर्मिनेटर’ की अहम भूमिका :-

गोटबाया को को ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम’ (लिट्टे) के साथ तीन दशक से चल रहे गृहयुद्ध को 2009 में निर्दयतापूर्ण तरीके से खत्म करने का श्रेय जाता है। इसके लिए उन्हें ‘टर्मिनेटर’ कहा जाता था। गोटबाया की अपने देश में खलनायक एवं नायक दोनों की छवि है। बहुसंख्यक सिंहली बौद्ध उन्हें युद्ध नायक मानते हैं। वहीं अधिकतर तमिल अल्पसंख्यक उन्हें खलनायक मानते हैं और अविश्वास की नजर से देखते हैं।

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