- जापान की दवा कंपनी दाइची सैंक्यो ने याचिका दायर की थी
- कोर्ट ने आईएचएच-फोर्टिस डील पर यथास्थिति का आदेश हटाने से भी इनकार किया
- दाइची ने 2008 में रैनबैक्सी को खरीदा था
- मलविंदर-शिविंदर पर डील के वक्त जानकारियां छिपाने का आरोप
- फोर्टिस हेल्थकेयर का शेयर 17% लुढ़का
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को अदालत की अवमानना का दोषी माना है। जापान की दवा कंपनी दाइची सैंक्यो की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला दिया। ये मामला 3,500 करोड़ रुपए के आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का है। दाइची का कहना है कि मलविंदर-शिविंदर ने इस रकम का भुगतान नहीं किया। दाइची ने इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट में दोनों भाइयों के खिलाफ अवमानना याचिका भी दायर की थी। उसका कहना था कि दोनों भाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर अपनी संपत्तियों को ठिकाने लगा रहे हैं।
हाईकोर्ट में भी केस हार चुके शिविंदर-मलविंदर
दाइची ने 2008 में रैनबैक्सी को खरीदा था। बाद में कहा कि मलविंदर-शिविंदर ने रैनबैक्सी के बारे में रेग्युलेटरी खामियों जैसी अहम जानकारियां छिपाईं। इस दलील के साथ उसने सिंगापुर ट्रिब्यूनल में शिकायत की थी। ट्रिब्यूनल ने दाइची के पक्ष में फैसला देते हुए मलविंदर-शिविंदर को भुगतान के आदेश दिए थे। सिंह भाइयों ने इसे भारत और सिंगापुर की अदालतों में चुनौती दी, लेकिन राहत नहीं मिली। दिल्ली हाईकोर्ट ने जनवरी 2018 में आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का फैसला बरकरार रखा। मलविंदर और शिविंदर रेलिगेयर फिनवेस्ट (आरएफएल) कंपनी में 2397 घोटाले के आरोप में जेल में हैं। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने पिछले महीने उन्हें गिरफ्तार किया था। मलविंदर को गुरुवार को जेल में ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी गिरफ्तार कर लिया। रेलिगेयर फिनवेस्ट मामले में ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहा है। आरएफएल रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की सब्सिडियरी है। मलविंदर और शिविंदर रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के भी पूर्व प्रमोटर हैं।