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अयोध्या में 5 एकड़ जमीन लेने से बोर्ड का इनकार
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‘एक महीने में समीक्षा याचिका दायर की जाएगी’
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9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का निर्णय किया है. बोर्ड के सदस्य सैयद कासिम रसूल इलियास ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया किबोर्डने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है. लखनऊ में हुई बोर्ड की बैठक में यह फैसला किया गया. बोर्ड ने कहा कि एक महीने में समीक्षा याचिका दायर की जाएगी. साथ ही बोर्ड ने अयोध्या में 5 एकड़ जमीन लेने से भी इनकार कर दिया है जिसका सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था. बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी ने बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक में लिये गये निर्णयों की जानकारी देते हुए प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि बैठक में फैसला लिया गया है कि अयोध्या मामले पर गत नौ नवम्बर को दिये गये उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी. उन्होंने कहा, बोर्ड का मानना है कि मस्जिद की जमीन अल्लाह की है और शरई कानून के मुताबिक वह किसी और को नहीं दी जा सकती. उस जमीन के लिये आखिरी दम तक कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी. जीलानी ने कहा कि 23 दिसंबर 1949 की रात बाबरी मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां रखा जाना असंवैधानिक था तो उच्चतम न्यायालय ने उन मूर्तियों को आराध्य कैसे मान लिया. वे तो हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार भी आराध्य नहीं हो सकते. जीलानी ने यह भी बताया कि बोर्ड ने मस्जिद के बदले अयोध्या में पांच एकड़ जमीन लेने से भी साफ इनकार किया है. बोर्ड का कहना है कि मस्जिद का कोई विकल्प नहीं हो सकता.
मुस्लिम पक्षकारों ने अयोध्या मामले पर हाल में आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल किये जाने की इच्छा जताते हुए शनिवार को कहा था कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के बदले कोई जमीन भी नहीं लेनी चाहिये. इन पक्षकारों ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी से नदवा में मुलाकात के दौरान यह ख्वाहिश जाहिर की थी.
बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी ने बताया था कि मौलाना रहमानी ने रविवार को नदवा में ही होने वाली बोर्ड की वर्किंग कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक से पहले रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले से जुड़े विभिन्न मुस्लिम पक्षकारों को राय जानने के लिये बुलाया था. उन्होंने बताया कि मामले के मुद्दई मुहम्मद उमर और मौलाना महफूजुर्रहमान के साथ-साथ अन्य पक्षकारों हाजी महबूब, हाजी असद और हसबुल्ला उर्फ बादशाह ने मौलाना रहमानी से मुलाकात के दौरान कहा कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय समझ से परे है, लिहाजा इसके खिलाफ अपील की जानी चाहिये. इसके अलावा एक अन्य पक्षकार मिसबाहुद्दीन ने भी फोन पर बात करके यही राय जाहिर की.
बता दें की सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में गत 9 नवम्बर को फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण कराने और मुसलमानों को मस्जिद निर्माण के लिये अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जीलानी ने इस निर्णय में अनेक विरोधाभास बताते हुए कहा था कि वह इससे संतुष्ट नहीं हैं.