नई दिल्ली : पीएम (PM) नरेंद्र (Narendra) मोदी (modi) ने कल ऐलान किया है कि वह सोशल मीडिया को छोड़ सकते हैं। टेक सेवी पीएम (PM) के इस ऐलान के बाद सोशल (Social) मीडिया (Media) पर भूचाल आ गया। खुद उनकी पार्टी बीजेपी (BJP) से लेकर आम लोग तक हैरान हैं।
This Sunday, thinking of giving up my social media accounts on Facebook, Twitter, Instagram & YouTube. Will keep you all posted.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 2, 2020
पीएम (PM) के सोशल (Social) मीडिया (Media) छोड़ने पर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। चर्चा होने लगी कि ऐसी कौन सी वजह है जिसके कारण पीएम (PM) ने यह बात कही? यह भी कहा जा रहा है कि कहीं पीएम (PM) मोदी (modi) कोई संदेश तो नहीं देना चाहते हैं? या फिर कुछ बड़ा करने की तो नहीं सोच रहे हैं?
सोशल मीडिया पर मोदी के जबरदस्त फॉलोअर
ट्विटर और फेसबुक पर मोदी (modi) के जबरदस्त फॉलोअर हैं। ऐसे में उनका यह ऐलान चौंकाने वाला है। पीएम (PM) मोदी (modi) का सोशल (Social) मीडिया (Media) पर जबरदस्त उपस्थिति है। वह लोगों से इसके जरिए सीधा संवाद करते हैं। ट्विटर (Twitter), फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (Instagram) और यूट्यूब (YouTube) पर उनके करोड़ों फॉलोअर्स हैं।
कुछ बड़ा करेंगे पीएम मोदी?
सरकारी अधिकारियों ने पीएम (PM) के सोशल (Social) मीडिया (Media) छोड़ने के ऐलान के कारणों को लेकर चुप्पी साध रखी है। एक अधिकारी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया की कुछ सकारात्मक होगा। अधिकारियों ने बस इतना बताया कि पीएम (PM) खुद एक-दो दिन में इस बारे में बताएंगे। अभी यह भी साफ नहीं है कि करोड़ों लोगों से सीधा संवाद के लिए सोशल (Social) मीडिया (Media) का प्रयोग करने वाले पीएम मोदी (modi) केवल कुछ दिन के लिए इसे छोड़ेंगे या फिर लंबे समय क लिए यहां नहीं दिखेंगे।
सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर जता चुके हैं चिंता
पीएम (PM) मोदी (modi) ने सितंबर 2019 में एक कार्यक्रम में सोशल (Social) मीडिया (Media) की ताकत और लोकतंत्र में इसके योगदान की सराहना करने के साथ ही इसके दुरुपयोग पर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा, ‘सोशल (Social) मीडिया (Media) ने सशक्तिकरण के लिए बहुत ताकत दी है। आज कोई भी खबर कोई भी व्यक्ति पहुंचा सकता है। मैं लोकतंत्र के लिए सोशल (Social) मीडिया (Media) को एक बहुत बड़े टूल के रूप में देखता हूं, लेकिन दुर्भाग्य से संगठित रूप से नकारात्मक चीजों को फैलाने का प्रयास किया जाता है।
अच्छा है कि कुछ मीडिया संस्थानों ने डेली 15 मिनट, आधा घंटा फेक न्यूज को उजागर करने का काम शुरू किया है। धीरे-धीरे सोशल मीडिया और परंपरागत मीडिया यदि फेक न्यूज के नुकसान पर बल देंगी तो स्थित सुधरेगी। दूसरा फॉरवर्ड करने का जो फैशन है, टेक्नॉलजी के लिए कुछ सॉल्यूशन लाना पड़ेगा, कोई न्यूज आता है तो वेरिफिकेशन की कोई संभावना बने।’