- टाटा स्टील ने अपनी पॉलिसी में बदलाव करते हुए ‘स्पेशल लीव’ नाम से एक प्रावधान किया है
- कर्मचारी को अगर ऑफिस या काम से दूर रहना पड़ेगा तो वह ‘स्पेशल लीव’ के तहत छुट्टियां ले सकता है
- छुट्टियों की कोई लिमिट नहीं है। स्वस्थ होने तक कर्मचारी इस तरह की छुट्टी ले सकता है
- ताकि भय न रहे कि छुट्टियों के कारण उनके वेतन या तय छुट्टियों में कटौती हो जाएगी
…ताकि सैलरी कटने के डर से कोरोना छुपाएं न कर्मी
इसके लिए कर्मचारी के रेगुलर वेतन या छुट्टियों में कोई भी कमी नहीं की जाएगी। यानी स्पेशल लीव को पेड लीव माना जाएगा। स्पेशल लीव सभी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध होंगी। टाटा स्टील के मानव संसाधन विभाग के वाइस-प्रेसिडेंट सुरेश त्रिपाठी ने बताया, ‘हमनें स्पेशल लीव का प्रावधान किया है। अगर किसी कर्मचारी को अलग रहने की चिकित्सकीय सलाह दी गई हो, तो जब तक उन्हें जरूरत हो वे छुट्टियां ले सकते हैं। इसके पीछे सोच यह है कि इस समय लोग चिंता में न पड़ें। हम उन्हें जब वे चाहें, सोशल डिस्टेंसिंग की सुविधा देना चाहते हैं ताकि कर्मचारी घर पर स्टे करने में न हिचकें, वह भी केवल इस भय में कि छुट्टियों के कारण उनके वेतन या तय छुट्टियों में कटौती हो जाएगी।’
‘एक्सेप्शनल लीव’ पॉलिसी
टाटा स्टील की तरह आरपीजी एंटरप्राइजेज भी अपने कर्मचारियों को छुट्टियां लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए आरपीजी एंटरप्राइजेज ‘एक्सेप्शनल लीव’ नाम की एक पॉलिसी लेकर आई है। फूड डिलिवरी ऐप स्विगी भी इसी प्रकार की एक पॉलिसी बनाने पर विचार कर रही है, जिसके शीघ्र लागू होने की संभावना है। आरपीजी ग्रुप के चीफ टैलेंट ऑफिसर सुप्रतीक भट्टाचार्य ने कहा, ‘यह अप्रत्याशित घटना है। यदि कोई बीमार है तो वह काम से दूर रह सकता है और स्वस्थ होने तक छुट्टी ले सकता है।’ टाटा स्टील के एचआर हेड ने कहा कि वायरस के लिहाज से संवेदनशील लोगों को छुट्टियां लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ऐसी सभी छुट्टियां पूरी तरह पेड होंगी।
क्या कह रहे कानूनी सलाहकार?
वहीं कानूनी सलाहकारों का कहना है कि कानून के हिसाब से अस्वस्थता की स्थिति में कर्मचारी कुछ तय छुट्टियों के लिए अधिकारी होते हैं, जैसे सिक लीव, प्रिविलेज्ड लीव, अर्न्ड लीव। अब स्थितियां बदल रहीं हैं। ऐसे कर्मचारी जो बीमार नहीं हैं, लेकिन जिन्हें ऑफिस या काम से अलग रहने के लिए कहा जा रहा है, उनके लिए भी कंपनियां स्पेशल लीव का प्रावधान कर रहीं हैं, ताकि संभावित संक्रमित व्यक्ति अन्य कर्मचारियों को संक्रमित न कर दे। कुछ कंपनियां और लीगल एक्सपर्ट इस बात पर भी ध्यान दे रहे हैं कि मेडिकल बेसिस पर किए जाने वाले भेदभाव की आशंका को किस प्रकार रोका जाए। ऐसा न हो कि बीमारी के चलते काम से अधिक दिन दूर रहने पर किसी कर्मचारी को निकाल दिया जाए।