नई दिल्ली: कर्नाटक के हेल्थ मिनिस्टर डॉ. के. सुधाकर ने इसे कबूल किया कि राज्य में 26 लोगों में एच3एन2 वायरस (h3n2 virus) के संक्रमण की पुष्टि हुई है। इनमें से दो मामले बेंगलुरु से सामने आए हैं।
उन्होंने कहा कि 15 साल से कम उम्र के बच्चों को H3N2 वैरिएंट से ज्यादा खतरा है और यह वैरिएंट 60 साल से ऊपर के लोगों को भी संक्रमित करता है। केवल कर्नाटक ही नहीं बल्कि पूरे देश में कोविड (covid) और एच3एन2 मामलों में बहुत तेज बढ़ोतरी देखी गई है।
इसे लेकर हेल्थ एक्सपर्ट विशेष रूप से चिंतित हैं। अभी इस तरह के मामलों की रिपोर्ट कम की गई है। इसके बावजूद देश में पिछले हफ्ते में संक्रमण के मामलों में 63 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है।
कर्नाटक के हेल्थ मिनिस्टर डॉ. सुधाकर ने कहा कि इस वायरस से गर्भवती महिलाओं को भी सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि कर्नाटक में पिछले छह महीने से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने मास्क नहीं पहना है।
अब से अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है. जबकि इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन, रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के डायरेक्टर और चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि एच3एन2 वायरस हर साल इस समय के दौरान म्यूटेट (mutates) करता है और बूंदों से फैलता है।
H3N2 इन्फ्लुएंजा ए और लक्षण
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने पूरे देश में फैली बुखार और कोल्ड की मौजूदा लहर के मूल कारण के रूप में H3N2 वायरस की पहचान की है। यह वायरस इन्फ्लुएंजा ए (Influenza A) का एक उपप्रकार (subtype) है।
यूएस सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल के मुताबिक जो इन्फ्लूएंजा वायरस आमतौर पर सूअरों में फैलते हैं, जब वे इंसानों में पाए जाते हैं, तो उन्हें वैरिएंट वायरस कहा जाता है। इन्फ्लूएंजा A के H3N2 वैरिएंट वायरस को आमतौर पर H3N2v के रूप में जाना जाता है।
इसे सबसे पहले जुलाई 2011 में इंसानों में महामारी का कारण पाया गया था। इस वायरस को 2010 में अमेरिका में सूअरों में खोजा गया था। 2012 में H3N2v के कई प्रकोप दर्ज हुए।
CDC के मुताबिक H3N2 संक्रमण के लक्षण मौसमी फ्लू वायरस के समान हैं। इसमें बुखार, सांस संबंधी दिक्कतें, जैसे खांसी और नाक बहना और संभवतः शरीर में दर्द, मतली, उल्टी या दस्त जैसे लक्षण शामिल हो सकते हैं।