- कतर की राजधानी दोहा में आज अमेरिका और तालिबान के बीच होने वाला है ऐतिहासिक शांति समझौता
- जिस समारोह में समझौते पर दस्तखत होंगे उसमें कतर में भारत के राजदूत पी. कुमारन भी होंगे मौजूद
- यह पहला मौका होगा जब भारत तालिबान से जुड़े किसी मामले में आधिकारिक तौर पर शामिल होगा
- उम्मीद की जा रही है कि इस समझौते से अफगानिस्तान में 18 सालों से ज्यादा वक्त से चल रही अमेरिका की जंग खत्म हो जाएगी
दोहा: अमेरिका और आतंकी संगठन तालिबान आज कतर की राजधानी दोहा में शांति समझौते पर दस्तखत करने वाले हैं। इससे अमेरिका की सबसे लंबी जंग के खात्मे की उम्मीद है। अफगानिस्तान में शांति और सुलह प्रक्रिया का भारत भी एक अहम पक्षकार है। कतर में भारत के राजदूत पी. कुमारन उस समारोह में हिस्सा लेंगे जिसमें अमेरिका और तालिबान शांति समझौते पर दस्तखत करेंगे। यह पहला मौका होगा जब भारत तालिबान से जुड़े किसी मामले में आधिकारिक तौर पर शामिल होगा।
18 साल से लंबी जंग में 10000 लोगों की हुई मौत
9/11 आतंकी हमले के जवाब में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश जूनियर ने तब तालिबान के कब्जे में रहे अफगानिस्तान पर हमला बोला था। शनिवार को होने वाले समझौते से अफगानिस्तान में खूनखराबे के दौर के अंत की उम्मीद जग सकती है। अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ जंग में अमेरिका ने 750 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च किया। इस जंग में करीब 10 हजार लोगों की मौत हुई।
दोहा में साथ बैठेंगे अमेरिका-तालिबान के प्रतिनिधि
कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका के शीर्ष राजनयिक उस तालिबान के नेताओं के साथ बैठेंगे, जिसने 9/11 हमलों के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन और उसके अल कायदा आतंकी संगठन को पनाह दी थी। अल कायदा के आतंकियों ने 11 सितंबर 2001 को 4 हवाई जहाजों को हाइजैक कर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की इमारत और पेंटागन पर हमला किया था। इस आतंकी हमले में करीब 3000 लोगों की मौत हुई थी।
समारोह में भारतीय प्रतिनिधि भी रहेंगे मौजूद
शांति समझौते पर दस्तखत के दौरान कतर में भारत के राजदूत पी. कुमारन भी वहां मौजूद होंगे। एक महत्वपूर्ण कदम के तहत भारत ने मॉस्को में नवंबर 2018 में हुई अफगान शांति प्रक्रिया में ‘गैर आधिकारिक’ क्षमता में 2 पूर्व राजनयिकों को भेजा था। इस सम्मेलन का आयोजन रूस द्वारा किया गया था जिसमें तालिबान का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, अफगानिस्तान, अमेरिका, पाकिस्तान और चीन समेत समेत कई अन्य देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे। शांति समझौते से पहले भारत ने अमेरिका को यह बता दिया है कि वह पाकिस्तान पर उसकी जमीन से चल रहे आतंकी नेटवर्कों को बंद करने के लिये दबाव डालता रहे।
अफगानिस्तान के नेताओं से मिले विदेश सचिव
अमेरिका और तालिबान के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता होने से एक दिन पहले शुक्रवार को विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को काबुल की यात्रा की और शांतिपूर्ण एवं स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का खुला समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी से भेंट की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र सौंपा। श्रृंगला ने अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला, निर्वाचित उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब और कार्यकारी विदेश मंत्री हारून चखानसूरी से मुलाकात की और उन्हें अफगानिस्तान के सर्वांगीण विकास के प्रति भारत की मजबूत प्रतिबद्धता का भरोसा दिया।