दक्षिण अफ्रीका में बेरोजगारी और गरीबी हटाने में मददगार बनी भारतीय साड़ियां

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नई दिल्ली :  भारतीय साड़ियों का इस्तेमाल कर पुरुषों और महिलाओं के लिये शानदार परिधान बनाने की पहल दक्षिण अफ्रीका में गरीबी और बेरोजगारी से निपटने में मदद कर रहे हैं। ‘रयाना एडवर्ड्स’ नामक महिला द्वारा 2014 में शुरू की गई ‘साड़ी फॉर चेंज’ पहल के तहत दक्षिण अफ्रीकी महिलाओं को दान की गईं साड़ियों से नये परिधान बनाकर कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद मिली।

इस पहल का असर यह दिखा कि उत्तरी जोहानिसबर्ग के ‘नॉर्थ राइडिंग’ कार्यशाला में परिधान बनाने वाली कुशल महिलाओं की कमाई में तेजी से इजाफा हुआ। इस सफलता के बाद दक्षिण जोहानिसबर्ग में सोवेटो के ब्लैक टाउनशिप में एक और कार्यशाला खोली गई जिसमें फिलहाल छह महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और अगले साल 20 और महिलाओं को यहां दाखिला दिया जाएगा।

एडवर्ड्स ने कहा कि पूरी दुनिया की महिलाओं खासकर भारतीय महिलाओं ने दक्षिण अफ्रीकी महिलाओं को पहनी हुईं साड़ियां या पारंपरिक तौर पर मिले कपड़े दान में दिए। ‘साड़ी फॉर चेंज’ कार्यशाला में खेप के पहुंचने के साथ ही साड़ियों की यात्रा शुरू हो जाती है। सबसे पहले उन्हें छांटा जाता है और धुलाई की जाती है। इसके बाद साड़ी के फैब्रिक की पहचान कर उससे क्या नया परिधान बनाया जा सकता है यह तय किया जाता है।

‘साड़ी फॉर चेंज’ पहल को डरबन स्थित डिजाइनर खुलेकनी कैनेथ का भी सहयोग मिल रहा है। कैनेथ ने उन्हें भेजी गई साड़ियों से पुरुषों के परिधान की एक नई श्रृंखला तैयार की है। हालांकि इस पहल का उद्देश्य दक्षिण अफ्रीका में फैली बेरोजगारी और असमानता को दूर करना है, लेकिन यह कार्यक्रम उन महिलाओं में भी लोकप्रिय हो रहा है जो सभी संस्कृतियों से जुड़े कपड़े पहनना पसंद करती हैं।

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