नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सबरीमाला में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के मामले को दायर पुनर्विचार याचिका को बड़ी बेंच को सौंप दिया है। अब इस मामले की सुनवाई 7 जजों की बेंच करेगी। कोर्ट ने कहा कि धर्म के सर्वमान्य नियमों के मुताबिक ही परंपरा होनी चाहिए। मामले पर फैसला सुनाते हुए CJI ने कहा कि धार्मिक प्रथाओं को सार्वजनिक आदेश, नैतिकता और भाग 3 के अन्य प्रावधानों के खिलाफ नहीं होना चाहिए। CJI ने कहा, पूजा स्थलों में महिलाओं का प्रवेश केवल इस मंदिर तक सीमित नहीं है।
सबरीमला मंदिर पर उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के पुनर्विचार की मांग कर रही याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि याचिकाकर्ता धर्म और आस्था पर बहस फिर शुरू करना चाहते हैं। यह मामला 3-2 के बहुमत से बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है। फिलहाल इस मामले की सुनवाई पांच जजों की बेंच कर रही थी। जस्टिस फली नरीमन और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने अलग से इस निर्णय के खिलाफ अपना फैसला दिया है। जबकि सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस खानविलकर ने बहुमत में फैसला दिया है। बता दें की सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका लगाई गई थी जिसपर आज फैसला आया है।
सबरीमाला मंदिर केस (Sabarimala Temple Case): 1500 साल पुरानी परंपरा, क्यों नहीं महिलाओं को मिलता प्रवेश
सुप्रीम कोर्ट ने केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर ऐतिहासिक फैसला आने वाला है। आपको बता दें कि 1500 साल पहले से चली आ रही परंपरा के अनुसार महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। करीब 10 साल से ज्यादा वर्ष से यह मामला कोर्ट में चल रहा था। आइए जानते हैं कि आखिर इस ऐतिहासिक मंदिर से जुड़ी 1500 साल पुरानी परंपरा क्या है और इसमें महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति क्यों नहीं थी।
क्या है 1500 साल पुरानी परंपरा
आपको बता दें कि केरल के ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 उम्र तक की महिलाओं के प्रवेश करने पर पाबंदी थी। पहाड़ियों पर बने इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन इनमें मुख्य रूप से पुरुष होते हैं। महिलाओं में सिर्फ 10 साल की उम्र से छोटी बच्चियों और 50 साल से बड़ी औरतों को वहां आने की अनुमति है।
सबरीमाला मंदिर मामला : क्या पुरुष की प्रधानता वाले नियम बदलने चाहिए और महिलाओं को क्यों नहीं करने दिया जाता प्रवेश
सबरीमाला अयप्पा भगवान का मंदिर है। भगवान अयप्पा को ब्रह्मचारी और तपस्वी माना जाता है। इसलिए मंदिर में मासिक धर्म के आयु वर्ग में आने वाली स्त्रियों का जाना प्रतिबंधित है। मंदिर ट्रस्ट का दावा है कि यहां 1500 साल से महिलाओं के प्रवेश पर बैन है।