पाकिस्तानः 250 वकीलों पर केस दर्ज अस्पताल में पांच की मौत

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  • अस्पताल में तोड़फोड़ और हिंसा के मामले में पाकिस्तान के 250 वकीलों पर केस दर्ज किया गया है
  • डॉक्टरों से बदला लेने के लिए वकीलों के बड़े समूह ने लाहौर के अस्पताल पर हमला कर दिया था
  • घटना के बाद अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति में गंभीर मरीजों की हालत और खराब होती जा रही है

लाहौर: अस्पताल में तोड़फोड़ और हिंसा के मामले में पाकिस्तान के 250 वकीलों पर केस दर्ज किया गया है। डॉक्टरों से बदला लेने के लिए वकीलों ने लाहौर के पंजाब इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियॉलजी पर हमला कर दिया था और इस घटना में गंभीर रूप से घायल पांच मरीजों की बुधवार को मौत हो गई। वकीलों का कहना था कि उन्होंने दो हफ्ते पहले एक साथी वकील पर चिकित्सकों द्वारा किए गए हमले का बदला लेने के लिए ऐसा किया।

पत्रकारों के भी तोड़े कैमरे

अधिकारियों ने बताया कि वकील जैसे ही अस्पताल में घुसे, वहां मौजूद चिकित्सक और पैरामेडिकल कर्मी मरीजों को छोड़कर भागने लगे। जो चिकित्सक ऑपरेशन कर रहे थे वे भी बीच में ही इलाज छोड़कर भाग गए। वकीलों ने भाग रहे कुछ डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों को पीटा और घटना कवर कर रहे पत्रकारों को भी उन्होंने नहीं बख्शा। वकीलों ने पुलिस की एक गाड़ी में आग लगा दी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अस्पताल में तैनात पुलिसकर्मी भी वहां से भागने लगे। उन्होंने कहा कि वकीलों ने दरवाजे और खिड़कियां तोड़ दीं, अस्पताल में खड़ी कई गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया और कुछ पत्रकारों के कैमरे तोड़ दिए।

इलाज के लिए मोहताज मरीज

घटना के बाद अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति में गंभीर मरीजों की हालत और खराब होती जा रही है। इलाज न मिलने की वजह से दो महिलाओं की मौत हो गई। दर्ज एफआईआर के मुताबिक पहले 250 के करीब महिला वकील अस्पताल पहुंचीं। इसके बाद हजारों वकील वहां पहुंच गए जिनमें से कुछ के हाथ में डंडे या अन्य औजार थे। देखते-देखते वे अस्पताल में घुस गए और तोड़फोड़ शुरू कर दी। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक वकीलों पर पाकिस्तान में कई धाराओं के साथ ऐंटी टेररिजम ऐक्ट भी लगाया गया है।

‘करीब 4 हजार वकीलों ने किया हमला’

पंजाब के सूचना मंत्री फैयलाजुल हसन चौहान ने संवाददाताओं से कहा कि अस्पताल में करीब चार हजार वकीलों के हमले के करण गंभीर रूप से बीमार पांच मरीजों की मौत हो गई। मंत्री से भी दुर्व्यवहार हुआ। उन्होंने कहा, ‘युद्ध के समय में भी अस्पतालों को बख्श दिया जाता है लेकिन उपद्रवी वकीलों ने आज सारी सीमाएं लांघ दीं और एक अस्पताल पर हमला कर दिया, जिससे पांच मरीजों की मौत हो गई और डॉक्टर एवं पैरामेडिकल कर्मी घायल हो गए।’ बाद में रेंजर्स और दंगा पुलिस ने स्थिति पर नियंत्रण किया।

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