नई दिल्ली: भारत को G-20 की कमान मिलने के बाद पहली बार रविवार को बैठक हुई, जिसमे 40 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान चर्चा के केंद्र में वैश्विक ऋण में वृद्धि, रोजगार में कमी, अनियंत्रित मुद्रास्फीति और विकास में मंदी रही।
उदयपुर को ‘मानसिक रूप से कायाकल्प’ और ‘आध्यात्मिकता को बढ़ावा देने वाले’ अनुभव के लिए पहले आधिकारिक G20 कार्यक्रम के लिए स्थान के रूप में चुना गया।
Under #G20India Presidency, our focus would be on shared priorities & forging win-win collaborations b/w developing countries, global south & advanced economies. Productive discussions underway at 1st Sherpa meeting at majestic Durbar Hall at Taj Fateh Prakash: G20 Sherpa A Kant pic.twitter.com/1UPkXiDwTG
— ANI (@ANI) December 5, 2022
अधिकारियों ने कहा, “आजीविका में सुधार के लिए नए तरीके बनाने और एक समावेशी की ओर बढ़ने के लिए ‘संकट से परे देखने’ पर चर्चा के रूप में एक निर्णायक बैठक हुई।”
यूरोप में बड़ा भू-राजनीतिक संकट- भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत
भारत के G-20 शेरपा (Sherpa) अमिताभ (Amitabh) कांत (Kant) ने पहली चर्चा में कहा, “दुनिया में उथल-पुथल के बीच हम सभी के सामने एक बड़ी चुनौती है। हम एक बड़े भू-राजनीतिक संकट से गुजर रहे हैं, जो यूरोप में हम सभी के सामने देखा जा रहा है।
हमने वैश्विक सप्लाई चेन को टूटते हुए देखा है, हम दुनिया के 70 देशों को वैश्विक ऋण से पीड़ित देख रहे हैं, हम जलवायु कार्रवाई और जलवायु वित्त के विशाल संकट को देख रहे हैं और ऊपर से हम साक्षरता, स्वास्थ्य, पर्यावरण की चुनौतियों को देख रहे हैं। आबादी का एक बड़ा वर्ग गरीबी रेखा से नीचे जा रहा है।”
अमिताभ कांत ने पहली चर्चा में कहा कि मुद्रास्फीति की चुनौती है, वैश्विक विकास की मंदी की चुनौती है। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में भारत G-20 की अध्यक्षता संभाल रहा है। हमारा मानना है कि हर संकट एक अच्छा अवसर होता है।