चीन-पाकिस्तान बॉर्डर पर सैनिकों को मिलेंगे असॉल्ट राइफल्स

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नई दिल्ली : चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों को अब देश की सुरक्षा के लिए आधुनिक असॉल्ट राइफल्स मिलने जा रहे हैं। असॉल्ट राइफल्स की मांग सेना ने 15 साल पहले की थी और डेढ़ दशक के इंतजार के बाद अब यह राइफल्स सेना को मिलेंगे। अमेरिका के इन असॉल्ट राइफल्स की खासियत है इनकी लंबी दूरी तक मार कर सकने की क्षमता। हालांकि, यह आधुनिक राइफल्स सिर्फ पहली पंक्ति में लड़नेवाले सैनिकों को ही मिलेंगे। बाकी सीमा पर मौजूद सैनिकों को रूस के क्लाशनिकोव राइफल से ही काम चलाना होगा। सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि पहली खेप में सेना को 10,000 राइफल्स की सप्लाइ की जा चुकी है। हालांकि, भारत ने कुल 72,400 राइफल्स ऑर्डर किया है। केंद्र सरकार ने यूएस फर्म सिग सॉअर को इसके लिए 638 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया है। इस साल फरवरी में फास्ट ट्रैक प्रॉक्यूरमेंट (एफटीपी) के तहत यह आर्डर किया गया।

वायु सेना को भी दिए जाएंगे राइफल्स
एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि 7.62x51mm कैलिबर वाले राइफल की रेंज 500 मीटर तक होगी। सूत्र के अनुसार, ‘राइफल्स की आपूर्ति 2020 के शुरुआत में की जाएगी। 66,400 राइफल्स सेना को मिलेंगी और 4,000 वायु सेना को। इसके साथ ही नौसेना को भी 2,000 राइफल्स की आपूर्ति की जाएगी। ये हथियार बहुत मजबूत, आसानी से फील्ड में प्रयोग किए जा सकनेवाले और आधुनिक तकनीक से बने हैं। सैन्य आपरेशनों में इनका प्रयोग बहुत आसानी से किया जा सकेगा।’

रूस के साथ करीब 8 लाख राइफल्स तैयार किए जाएंगे
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के कोरवा हथियार फैक्ट्री में 7,45,000 क्लाशनिकोव राइफल्स तैयार किए जाएंगे। क्लाशनिकोव AK-203 राइफल्स का निर्माण रूस के साथ संयुक्त वेंचर में किया जाएगा। इन हथियारों के निर्माण के लिए 12,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इन राइफल्स में से एक हिस्सा पुलिस विभाग को भी दिया जाएगा। 7.62x39mm कैलिबर वाले AK-203 राइफल्स को लोकप्रिय AK-47 की आधुनिक कड़ी कहा जा सकता है। इन राइफल्स की खासियत है कि यह बहुत प्रभावशाली होते हैं और इनसे 300 मीटर की दूरी तक मार किया जा सकता है।

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