नई दिल्ली : नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच सोमवार को हुई सातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रहने के चलते भीषण सर्दी, बारिश और जलभराव की स्थिति में भी किसान कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की अपनी मांग को लेकर दिल्ली से लगी सीमाओं पर 41वें दिन भी डटे हुए हैं।
किसान संगठनों के प्रतिनिधि इन कानूनों को पूरी तरह निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार कानूनों की खामियों वाले बिन्दुओं या उनके अन्य विकल्पों पर चर्चा करना चाह रही है। दोनों के बीच अब अगली बातचीत 08 जनवरी को होगी।
बैठक के बाद केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्रकारों से बात करते हुए अगली बैठक में सकारात्मक वार्ता होने और समाधान निकलने की उम्मीद जताई, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि समाधान पर पहुंचने के लिए दोनों पक्षों की ओर से प्रयास किए जाने चाहिए।
भीषण सर्दी के मौसम में विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली से लगी सीमाओं पर पिछले करीब 40 दिन से डटे हैं। इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं। शहर में पिछले कुछ दिनों से बारिश हो रही है,
जिसके बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (डीएसजीएमसी) ने शहर के सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को बारिश से बचाने के लिए तंबुओं में अस्थायी ऊंचे बिस्तर उपलब्ध कराए हैं। तंबुओं के मुख्य मंच के ठीक पीछे और राजमार्ग के ढलान वाले हिस्से पर होने के कारण, वहां बारिश में जलभराव का खतरा बना रहता है।
Protesters at Singhu border (Delhi- Haryana) affected due to continuous rainfall#FarmLaws pic.twitter.com/lufaPTNNui
— ANI (@ANI) January 5, 2021
किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की कई सीमाओं पर डटे हैं और ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी लगातार ट्विटर पर लोगों को बंद एवं परिवर्तित मार्गों की जानकारी दे रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस ने मंगलवार को सिलसिलेवार ट्वीट में बताया कि सिंघु, औचंदी, प्याऊ मनियारी, सबोली और मंगेश बॉर्डर बंद हैं।
पुलिस ने कहा कि कृपया लामपुर, सफियाबाद, पल्ला और सिंघु स्कूल टोल टैक्स बॉर्डर से होकर जाएं। मुकरबा और जीटेके रोड पर भी ट्रैफिक परिवर्तित किया गया है। आउटर रिंग रोड, जीटीके रोड और एनएच-44 पर जाने से भी बचें।