दिल्ली में सख्त लॉकडाउन लागू करने के लिए हाईकोर्ट में PIL दायर

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दिल्ली (delhi) हाईकोर्ट (Highcourt) में एक जनहित याचिका दायर कर AAP सरकार को यहां COVID-19 मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राजधानी में सख्त लॉकडाउन (lockdwon) लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

एक वकील अनिर्बान मंडल और उनके कर्मचारी पवन कुमार ने अपनी याचिका में बताया कि दिल्ली सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि जून के अंत तक राजधानी दिल्ली (delhi) में लगभग एक लाख कोविड ​-19 केस होंगे और जुलाई के मध्य तक यह संख्या लगभग 2.25 लाख और जुलाई अंत तक 5.5 लाख से अधिक हो जाएगी।

ऐसे में, सरकार को दिल्ली (delhi) में सख्त लॉकडाउन (lockdwon) लागू करने पर विचार करना चाहिए। वकील मृदुल चक्रवर्ती के माध्यम से दायर की गई याचिका में दिल्ली (delhi) सरकार (goverment) को वायरस (vieus) को फैलने से रोकने के लिए “विस्तृत ब्लू प्रिंट” तैयार करने के लिए डॉक्टरों, चिकित्सा विशेषज्ञों और वायरोलॉजिस्ट की एक विशेषज्ञ कमेटी बनाने पर विचार करने के निर्देश देने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ताओं ने इस आधार पर लॉकडाउन (lockdwon) लागू करने की मांग की है कि पहले लॉकडाउन (lockdwon) की अवधि के दौरान मामलों में वृद्धि की दर कम थी। उन्होंने दावा किया कि सार्वजनिक परिवहन, धार्मिक स्थलों, मॉल, रेस्तरां / होटलों को फिर से खोलने और राजधानी में लोगों और गतिविधियों की आवाजाही की अनुमति देने से वायरस के प्रसार में तेजी से वृद्धि हुई है,

जिसके परिणामस्वरूप COVID-19 के रोज सामने आ रहे मामलों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि पहले से ही COVID-19 से निपटने के लिए दिल्ली (delhi) में पर्याप्त बेड / वेंटिलेटर / ICU वार्ड / परीक्षण सुविधाओं की संख्या में भारी कमी है और इसलिए संक्रमण में वृद्धि के साथ दिल्ली (delhi) में स्थिति अनियंत्रित या गंभीर हो सकती है।

साथ ही यह भी कहा गया है कि मामलों में हो रही यह वृद्धि दिल्ली (delhi) में स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को अव्यवस्थित कर सकती है।

दिल्ली में कोरोना मामले 32000 के पार

राजधानी में कोरोना (corona) संक्रमण भयावह रूप लेता जा रहा है एवं पिछले 24 घंटों में 1501 मामले सामने आने के साथ ही संक्रमितों का आंकड़ा 32000 के पार हो गया तथा 79 और मरीजों की मौत से कुल मरने वालों की संख्या 984 हो गई, लेकिन राहत की बात यह है कि मरीजों के स्वस्थ होने की दर 37.32 फीसदी पहुंच गई।

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