इस बार का ये मिशन इसलिए भी काफी बड़ा है क्योंकि इस बार किसी एक देश से भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश नहीं लाना है बल्कि पूरी दुनिया से उन्हें लेकर आना है। कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की हालत पस्त कर दी है। इसकी वजह से पूरी दुनिया में करोड़ों लोग बेरोजगार हुए हैं जिनमें एक बड़ी संख्या भारतीयों की भी है। इसकी वजह से भारतीयों के सामने खाने की भी समस्या खड़ी हो गई है। ऐसे में भारत सरकार ने उन्हें वापस लाने की कवायद शुरू की है।
आपको बता दें कि भारत सरकार द्वारा 7 मई 2020 को शुरु किया गया वंदे भारत मिशन अपने नागरिकों को स्वदेश वापस लाने के अबतक के सबसे बडे अभियानों में से एक है। इस अभियान के तहत, नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारतीयों की वतन वापसी के लिए विदेश मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर रहा है। एयर इंडिया अपनी सहायक कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ मिलकर विदेशों में फंसे 14800 भारतीयों को वापस लाने के पहले चरण के तहत अमेरिका,ब्रिटेन,बांग्लादेश, सिंगापुर, सऊदी अरब, कुवैत, फिलीपीन्स, संयुक्त अरब अमीरात और मलेशिया सहित 12 देशों के लिए कुल 64 उड़ानों (एयर इंडिया द्वारा 42 और एआई एक्सप्रेस द्वारा 24) का संचालन कर रही है।
बाहरी देशों से भारतीयों को वापस लाने के लिए व्यापक स्तर पर चलाए गए इस अभियान के प्रत्येक चरण में सरकार और नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा निर्धारित सुरक्षा, स्वच्छता मानकों और नियमों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय,भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण और एयर इंडिया, चिकित्सा से जुडे इस बेहद संवेदनशील अभियान में विमान यात्रियों, चालक दल और ग्राउंड हैंडलिंग स्टाफ की सुरक्षा को प्राथमिकता देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
भारत सरकार इन नागरिकों को प्राथमिकता के आधार पर स्वदेश ला रही है। सरकार के मुताबिक हर दिन करीब दो हजार लोग लौटेंगे। इसके पहले पंजीकरण होगा और फिर सरकार इनकी प्राथमिकता तय करेगी। सरकार ने स्वदेश वापसी के लिए जो प्राथमिकता तय की है उसमें में टूरिस्ट वीजा धारक जिनका वीजा रद्द हो गया है, जिन्हें डिपोर्ट किया गया हो, प्रवासी मजदूर, जिनकी अल्पकालिक वीजा अवधि खत्म हो गई है, मेडिकल आपात स्थिति वाले, छात्र, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, जिनके घर में कोई मृत्यु हुई हो और फंसे हुए पर्यटक शामिल हैं।
एयरलिफ्ट करने के अलावा सरकार ने इसके लिए भारतीय नौसेना की भी सहायता ली है जिसको ऑपरेशन सेतु का नाम दिया गया है। इसके तहत मालदीव और खाड़ी देशों से भारतीयों को लाया भी गया है और आगे भी इसकी कवायद जारी है। इसके लिए नौसेना के तीन जहाजों की सेवा ली गई है जिनमें आईएनएस शार्दूल, आईएनएस मगर और आईएनएस जलश्व शामिल हैं।