तुर्की (Turkey) और सीरिया (Syria) में सोमवार को आए विनाशकारी भूकंप के बाद से हालात हर दिन बदतर होते जा रहे हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 24000 लोगों की मौत हो चुकी है। घायलों की संख्या 75 हजार के करीब बताई जा रही है।
#TurkeySyriaEarthquake | As per The Associated Press, nearly 24,000 people have been killed so far due to powerful earthquakes in Turkey and Syria. Death toll continues to rise amid widespread devastation.
— ANI (@ANI) February 10, 2023
भारत दोनों देशों में ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत मदद पहुंचा रहा है। भारत से राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की टीम भी तुर्की और सीरिया में रेस्क्यू ऑपरेशन (NDRF) में जुटे हैं ।इस बीच एनडीआरएफ की टीम ने तुर्की में भूकंप प्रभावित क्षेत्र में मलबे में फंसी 8 साल की बच्ची को सुरक्षित निकाल लिया है।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने शुक्रवार को समाचार एजेंसी पीटीआई को इसकी जानकारी दी। एनडीआरएफ के प्रवक्ता ने कहा कि तुर्की सेना के जवानों के साथ गाजियांटेप प्रांत के नूरदगी शहर में अभियान चलाया गया। एनडीआरएफ के जवानों ने गुरुवार को इसी इलाके से 6 साल की एक बच्ची को रेस्क्यू किया था। गृह मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी थी।
प्रवक्ता ने कहा, “बचावकर्ताओं ने अब तक मलबे से दो लोगों की जान बचाई है और 13 शव निकाले हैं। एनडीआरएफ (NDRF) का बचाव अभियान 7 फरवरी से तुर्की के प्रभावित इलाकों में जारी है।”
भारत ने सोमवार के विनाशकारी भूकंप के बाद तुर्की और सीरिया को सहायता प्रदान करने के लिए “ऑपरेशन दोस्त” शुरू किया।भारत की तरफ से 152 कर्मियों वाली एनडीआरएफ की तीन टीमें तुर्की भेजी गई हैं।
मदद के लिए आए आए 95 देश
इस प्राकृतिक आपदा में दुनिया भर के 95 देश तुर्की और सीरिया की मदद के लिए आगे आए हैं। भारत दोनों देशों में ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत मदद भेज रहा है। तुर्की में एक फील्ड अस्पताल का काम भी भारत ने शुरू कर दिया। वहीं, एनडीआरएफ की कई टीमों दोनों देशों में रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए भेजी गई हैं।
तुर्की और सीरिया के ये प्रांत हो चुके बर्बाद
भूकंप के चलते तुर्की के अंटाक्या, सनलिउरफा और सीरिया का अलेप्पो शहर पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं। यहां पानी और बिजली की सप्लाई भी बंद है।
लोग शेल्टर होम्स में रहने को मजबूर हैं। यहां खाने की चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं। एपिसेंटर वाले गाजियांटेप शहर के लोगों का कहना है कि तबाही के 12 घंटे बाद भी उन तक मदद नहीं पहुंची थी।