महिला सशक्तिकरण: विकास की कुंजी

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वीमेन एम्पावरमेंट आज के समय में एक अहम् टॉपिक बन गया है, महिलाएं हर फील्ड में पुरुषों से टक्कर लेती हुई दिख रही है, चाहे काम घर के अंदर हो या घर के बाहर,  महिलाएं स्वतंत्रता से अपनी ज़िन्दगी बिता रही हैं। धीरे-धीरे वे अपनी ज़िन्दगी के ऊपर नियंत्रण हासिल कर के अपने फैसले खुद ले रही हैं।

 

इस बात में कोई दो राय नहीं है की भारत में महिलाओं ने आज़ादी के लगभग सात दशकों में काफी प्रगति की है, लेकिन उन्हें अभी भी पुरुष प्रधान समाज में कई बाधाओं और सामाजिक बुराइयों का सामना करना पड़ रहा है।

 

यह बात बहुत व्यंगयात्मक है कि एक ऐसा देश जिसने हाल ही में पहले एशियाई देश का दर्जा प्राप्त किया है, उस देश में महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार होता है। देखा जाए तो महिलाओं की स्थिति में पहले से काफी सुधार आया है, लेकिन उनको सही एम्पावरमेंट अभी भी नहीं मिली है, तथा समाज में महिलाओं के पीछे रह जाने की वजह से भारत का विकास भी धीमा हो रहा है।

 

इस प्रकार, एक विकसित देश का दर्जा प्राप्त करने के लिए, भारत को अपने महत्वपूर्ण महिला बल को एक प्रभावित मानव सेना में बदलने की आवश्यकता होगी जो की सिर्फ महिलाओं को एम्पावर कर के ही संभव हो सकता है।

वीमेन एम्पावरमेंट अपने आप में ही यह कहता है कि सामाजिक अधिकार, राजनीतिक अधिकार, आर्थिक स्थिरता और अन्य सभी अधिकार महिलाओं और पुरुषो के बराबर होने चाहिए। कहीं भी पुरुषों और महिलाओं के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। फंडामेंटल और सोशल राइट्स सिर्फ कहने के लिए ही नहीं मिलेने चाहिए बक्ली उन्हें इतेमाल करने की बभी पूरी आज़ादी दी जानी चाहिए। यह भेदभाव भारत हर कोने में आज भी मौजूद है, इसका एक उदाहरण बॉलीवुड इंडस्ट्री खुद है। फिल्म इंडस्ट्री में इतना विकास होने के बाद भी पुरुष अभिनेताओं को महिला अभिनेत्रियों की तुलना में ज़्यादा महत्व दिया जाता है।

 

इसके अलावा, महिलाओं को एम्पावर करने से भारत के इकोनॉमिक स्टेटस पर भी बहुत अच्छा प्रभाव पड़ सकता है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ सिर्फ एक स्लोगन बन के नहीं रहना चाहिए, बल्कि इतिहास का अहम हिस्सा बन जाना चाहिए।

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