नई दिल्ली: Brexit Effect On India ब्रेक्जिट से भारत को नफा के साथ नुकसान भी ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से अलगाव वैश्विक स्तर पर गहरा प्रभाव छोड़ने वाला होगा। यह प्रभाव फिलहाल सैद्धांतिक होगा और इसके व्यावहारिक असर का बड़े पैमाने पर दिखने का अंदेशा कम ही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था को यह कई तरह से प्रभावित करेगा। वहीं भारत के संदर्भ में यह अच्छे-बुरे दोनों ही तरह के प्रभावों को लेकर आएगा।
नहीं बदलेंगी ये चीजें
ब्रिटेन या यूरोपीय संघ के नागरिकों को करीब से प्रभावित करने वाली ज्यादातर चीजों में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं होगा। सामान्य रूप से व्यवसायों का संचालन किया जाएगा। इसका अर्थ है कि एक उपभोक्ता के रूप में कोई प्रभावित नहीं होगा। अलगाव की प्रक्रिया के दौरान यूरोप में आवाजाही प्रभावित नहीं होगी। दोनों जगहों के लोग आराम से आवागमन कर सकेंगे।
सैद्धांतिक ज्यादा, व्यावहारिक कम
ब्रेक्जिट का असर व्यावहारिक कम और सैद्धांतिक ज्यादा है। ब्रिटेन यूरोपीय संघ को छोड़ सकता है, लेकिन वह यूरोपीय संघ के सभी कानूनों और यूरोपीय अदालतों के आदेशों का पालन जारी रखेगा। आगामी महीनों में यह यूरोपीय संघ के बजट में अपने योगदान को जारी रखेगा। साथ ही यूरोपीय संघ के कानून में किसी भी बदलाव का पालन भी करेगा। इससे साफ है कि यह बदलाव सैद्धांतिक ज्यादा है और व्यावहारिक कम। ब्रिटेन यूरोपीय संघ के संस्थानों में कोई सार्थक प्रतिनिधित्व नहीं करेगा और अब यूरोपीय संघ के नेताओं की किसी भी बैठक में शामिल नहीं होगा।
भारत पर नकारात्मक असर
- अल्पावधि में सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आ सकती है।
- पौंड का गिरता मूल्य कई मौजूदा अनुबंधों के लिए घाटे का सौदा हो सकता है।
- देश के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर अल्पकाल में नकारात्मक असर पड़ सकता है।
- विदेशी पूंजी निकलने और डॉलर की कीमत बढ़ने से रुपये की कीमत गिर सकती है।
- पौंड स्टर्लिंग की कीमतों में गिरावट के कारण ब्रिटेन से होने वाले भारतीय निर्यात को नुकसान होगा।
- यदि दुनिया यह धारणा बनाती है कि भारत में निवेश जोखिम भरा है तो विदेशी पूंजी के बाहर जाने की आशंका है।
- कई भारतीय कंपनियां लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूची बद्ध हैं और कई का लंदन में यूरोपीय मुख्यालय है। ब्रिटेन इसका फायदा उठाएगा।
भारत पर सकारात्मक असर
- भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापारिक संबंधों को ब्रेक्जिट बढ़ावा दे सकता है।
- अब ब्रिटेन भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा के लिए स्वतंत्र होगा।
- कई विशेषज्ञ यह सोचते हैं कि ब्रिटेन की मुद्रा का कमजोर होना अच्छी खबर हो सकती है।
- पौंड के कम मूल्य के साथ भारतीय कंपनियां कई हाइटेक संपत्ति हासिल करने में सक्षम हो सकती हैं।
- दुनिया भर के निवेशक अशांत समय में सुरक्षित ठिकाने ढूंढते हैं। ऐसे में भारत स्थिरता और विकास दोनों के लिए मुफीद हो सकता है।
- भारत के एक निर्यातक देश की तुलना में अधिक आयात करने वाला देश होने के चलते इसका प्रभाव भारत के लिए सकारात्मक हो सकता है।
- पौंड स्टर्लिंग के मूल्य में गिरावट के कारण, यूके से आयात करने वालों को लाभ होगा। ब्रिटेन में सक्रिय भारतीय निर्यात कंपनियों को भी लाभ हो सकता है।