नई दिल्ली: हनुमान चालीसा को लेकर राजनीति नवनीत राणा और उनके पति को महंगी पड़ता नजर आ रहा है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा की FIR रद्द करने को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी है।
याचिका रद्द करते हुए कोर्ट ने राणा दंपत्ति को फटकार लगाते हुए कहा कि जितनी बड़ी पॉवर होती है, उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी भी होती है। नवनीत राणा ने मुंबई पुलिस द्वारा उनके खिलाफ लगाए गई आईपीसी की धारा 353 (सरकारी अधिकारी को कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए आपराधिक बल के इस्तेमाल या हमला करना) को हटाने को लेकर याचिका दायर की थी।
राणा दंपति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा- 153 ए (धर्म, भाषा आदि के नाम पर विद्वेष उत्पन्न करना) और मुंबई पुलिस अधिनियम की धारा-135 (पुलिस द्वारा लागू निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने) का मामला दर्ज किया गया।
कोर्ट ने नवनीत राणा की इस याचिका को खारिज कर दिया है। खबर है कि अब नवनीत राणा के वकील रिजवान मर्चेंट इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं।
गौरतलब है कि मुंबई पुलिस ने नवनीत राणा आईपीसी की धारा 153 ए (धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने की कोशिश) के तहत गिरफ्तार किया था। बाद में इसमें 353 भी जोड़ दिया गया जिसका राणा दंपत्ति विरोध कर रहे हैं।
गौरतलब है कि शिवसैनिकों की शिकायत पर नवनीत राणा के खिलाफ राजद्रोह का भी मामला दर्ज किया गया है। शिवसैनिकों का कहना है कि मातोश्री उनके लिए मंदिर की तरह है और राणा दंपत्ति ने उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
ये सारा मामला मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने की कोशिश के चलते शुरू हुआ था। नवनीत राणा और उनके पति ने सीएम उद्धव ठाकरे को चुनौती दी थी कि वो हनुमान चालीसा पढ़कर सुनाएं नहीं तो वो मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा पढ़ेंगे।