WHO साइंटिस्ट: मामूली सर्दी-जुकाम नहीं है ओमिक्रॉन संक्रमण

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नई दिल्ली: जिस रफ्तार से दुनिया भर में कोरोना (Corona) की लहर फिर से फैल रही है, उससे हर कोई खौफ में है। ओमिक्रॉन (Omicron) के मामले खतरनाक तरह से पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले रहे हैं। अब तक 128 देशों में ओमिक्रॉन के मामले की पुष्टि हो चुकी है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या (Soumya) स्वामीनाथन (Swaminathan) ने दुनिया को आगाह करते हुए कहा है कि ओमिक्रॉन को कमजोर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।

उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि ओमिक्रॉन को आम सर्दी समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। यह बहुत तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा। इससे स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सकती है। सौम्या स्वामीनाथन ने विश्व से अपील की कि बड़ी संख्या में मरीजों के परीक्षण, सलाह और निगरानी के लिए सिस्टम का मजबूत होना महत्वपूर्ण है क्योंकि ओमिक्रॉन के मामले में वृद्धि अचानक और बहुत तेजी से हो सकती है।

ओमिक्रॉन नेचुरल वैक्सीन नहीं

हालांकि अब भी कई लोगों का मानना है कि ओमिक्रॉन (Omicron)उतना खतरनाक नहीं है जितना डेल्टा वेरिएंट है। लोग इसे सामान्य सर्दी जुकाम की तरह ले रहे हैं। कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि ओमिक्रॉन नेचुरल वैक्सीन की तरह काम करेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया है।

डब्ल्यूएचओ (WHO) का कहना है कि ओमिक्रॉन वैक्सीन की तरह नहीं है। अब तक ऐसी कोई रिसर्च नहीं हुई है जिसके आधार पर यह दावा किया जाए कि ओमिक्रॉन का संक्रमण कुदरती वैक्सीन की तरह काम करेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पिछले 24 घंटे में कोरोना के 1.27 लाख मामले सामने आए हैं।

ओमिक्रॉन भी खतरनाक- प्रमुख विषाणु वैज्ञानिक

कुछ रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि ओमिक्रॉन (Omicron) से अस्पताल पहुंचने का जोखिम बहुत कम हैै। इस मुद्दे पर विषाणु वैज्ञानिक और कोविड-19 (COVID-19) टेक्निकल (Technical) टीम (Lead) की प्रमुख मारिया (Maria) वेन (Van) करखोवे (Kerkhove) ने भी कहा है कि ओमिक्रॉन (Omicron) सामान्य सर्दी नहीं है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘बेशक कुछ रिपोर्ट में डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन से संक्रमित होने के बाद अस्पताल पहुंचने का जोखिम कम बताया जा रहा है, लेकिन अब भी इससे बहुत तेजी से लोग संक्रमित हो रहे हैं। यहां तक कि डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों वेरिएंट से संक्रमित लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं और मर भी रहे हैं। हम जीवन को बचाने के लिए संक्रमण को रोक सकते हैं। इसलिए हमें वैक्सीन असमानता को खत्म करना होगा।

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