नई दिल्ली : आषाढ़ मास की पूर्णिमा (Purnima) तिथि को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का पर्व मनाया जाता है. यह दिन गुरु पूजन के लिए निर्धारित है. गुरु (Guru) पूर्णिमा (Purnima) के अवसर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा अर्चना करते हैं.
गुरु (Guru) पूर्णिमा (Purnima) को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन को महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास की जयंती के रूप मे भी मनाया जाता है. हिंदू धर्म में गुरुओं को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है.
यहां तक कि गुरुओं को भगवान से भी ऊपर का दर्जा प्राप्त हैं क्योंकि गुरु ही हमें अज्ञानता के अंधेरे से सही मार्क की ओर ले जाता है. इस वजह से देशभर में गुरु (Guru) पूर्णिमा (Purnima) का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है.
आपको बता दें कि इस साल गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को मनाई जाएगी. इस दिन चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है. शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक. गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है. अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है.
गुरु पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा रविवार, जुलाई 5, 2020 को
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – जुलाई 04, 2020 को 11:33 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – जुलाई 05, 2020 को 10:13 ए एम बजे
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु (Guru) पूर्णिमा के दिन गुरुओं की पूजा करने का विशेष महत्व है. बता दें गुरुओं की पूजा करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि उनकी कृपा से व्यक्ति कुछ भी हासिल कर पाता है. गुरुओं के बिना किसी भी व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है.
इस वजह से गुरुओं को भगवान से भी ऊपर का दर्जा प्राप्त है. पुराने वक्त में गुरुकुल में रहने वाले छात्र गुरु पूर्णिमा के मौके पर अपने गुरुओं की विशेष रूप से पूजा-अर्चना किया करते थे.
हर साल गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु में आती है. इस मौसम को काफी अच्छा माना जाता है क्योंकि इस दौरान न तो ज्यादा सर्दी होती है और न ही गर्मी. इस दिन केवल गुरु ही नहीं बल्कि घर में अपने बड़ों जैसे माता-पिता, भाई-बहन आदि का आशीर्वाद लिया जाता है.
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
– गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और बाद में स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– इसके बाद घर के मंदिर में किसी चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं.
– इसके बाद ”गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये” मंत्र का जाप करें
– इसके बाद अपने गुरु या उनकी फोटो की पूजा करें.
– यदि आप गुरुओं को सामने हैं तो सबसे पहले उनके चरण धोएं. उन्हें तिलक लगाएं और फूल अर्पण करें.
– अब उन्हें भोजन कराएं.
– इसके बाद दक्षिणा देकर उनके पैर छुएं और उन्हें विदा करें.
– आप चाहें तो इस दिन किसी ऐसे इंसान की भी पूजा कर सकते हैं, जिसे आप अपना गुरु मानते हैं.
गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण
इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) भी है. लगभग दो घंटे 43 मिनट और 24 सेकेंड तक रहेगा. हालांकि, 5 जुलाई को लगने वाला यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा.