PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती की हिरासत तीन महीने के लिए बढ़ाई गई

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श्रीनगर. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (Peoples Democratic Party) की प्रमुख और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Former Jammu Kashmir CM Mehbooba Mufti) की हिरासत को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. महबूबा मुफ्ती पब्लिक सेफ्टी एक्ट (Public Saftey Act) के तहत हिरासत में हैं. मुफ्ती की वर्तमान हिरासत के खत्म होने के कुछ ही घंटे पहले श्रीनगर मजिस्ट्रेट की ओर से जारी किए गए एक संक्षिप्त आदेश में कहा गया कि महबूबा मुफ्ती के घर में ही उनकी हिरासत को तीन महीने के लिए बढ़ाया जा रहा है. महबूबा मुफ्ती के अलावा पीडीपी नेता सरताज मदनी और नेशनल कांफ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर की हिरासत भी तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई है.

अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने के केंद्र के फैसले से पहले महबूबा मुफ्ती को हिरासत में लिया गया था. करीब आठ महीने से हिरासत में रह रहीं महबूबा मुफ्ती पहले दो सरकारी सुविधाओं में रहीं जिन्हें सब जेल बनाया गया था. मुफ्ती को 7 अप्रैल को थोड़ी राहत देते हुए अपने ही घर में हिरासत में रख दिया गया. मुफ्ती पीडीपी की प्रमुख हैं जो कि जून 2018 तक बीजेपी के साथ जम्मू कश्मीर के साथ सरकार में थी.

इसी साल लगाया गया पीएसए
महबूबा को फरवरी से पहले एहतियात के तौर पर हिरासत में रखा गया था लेकिन इसी साल 5 फरवरी को उन पर और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगा दिया गया. हालांकि उमर अब्दुल्ला को मार्च में रिहा कर दिय गया. वहीं पीएसए एक्ट के तहत बंद जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) को पिछले महीने की शुरुआत में रिहा गया था.

इससे पहले महबूबा चश्मा शाही में सरकारी गेस्ट हाउस में थीं और उसके बाद उन्हें लाल चौक के पास मौलाना आजाद रोड पर बने एक बंगले में शिफ्ट कर दिया गया.

बेटी ने सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती
महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती (Iltija Mufti) ने अपनी मां की नजरबंदी को चुनौती देते हुए फरवरी में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के समक्ष बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी.

तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा था और मामले को 18 मार्च को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया था. हालांकि, कोरोनोवायरस फैलने के कारण याचिका पर सुनवाई नहीं हुई.

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