गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार पुरुषों की अपेक्षा महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी है। महिला मतदाताओं की संख्या अब बढ़कर 3.5 लाख ज्यादा हो गई है लेकिन फिर भी इस चुनाव में राजनीतिक दलों ने यानी बीजेपी और कांग्रेस ने 1 और 3 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं आप ने भी एक ही महिला उम्मीदवार को गुजरात चुनाव में टिकट दिया है।
जबकि गुजरात की 16 विधानसभा सीटों पर 21 लाख से अधिक महिला मतदाता हैं जो किसी भी चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं। इसके बावजूद भी बड़ी पार्टियों को मिलाकर कुल 5 ही महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है।
18.42 लाख से बढ़कर 21.92 लाख हुई महिला मतदाता
गुजरात चुनावों में महिला उम्मीदवारों की कम संख्या के बावजूद, भाजपा और कांग्रेस से महिला प्रत्याशियों की सफलता दर पिछले विधानसभा चुनाव में अच्छी रही, क्योंकि दोनों दलों की 22 महिला उम्मीदवारों में से 59 प्रतिशत ने जीत हासिल की थी।
2012 में महिला उम्मीदवारों की सफलता दर 51 प्रतिशत थी। बता दें कि पिछले चुनावों में महिला मतदाताओं की संख्या केवल 18.42 लाख थी जो इस वर्ष बढ़कर 21.92 लाख हो गई हैं।
क्यों मिलता है महिला उम्मीदवारों को कम टिकट
सभी राजनीतिक पार्टियां अपने चुनावी प्रचारों में महिला सशक्तिकरण की बातें तो करती हैं लेकिन सूरत की विधानसभा सीट पर इतनी अधिक महिला मतदाता होने के बावजूद सभी राजनीतिक पार्टियों का महिला प्रत्याशियों की ओर अविश्वास है।
पिछले चुनावी परिणामों को मद्देनजर रखते हुए देखें तो महिला उम्मीदवारों को कम टिकट देने का कारण यह भी हो सकता है कि पहले 19 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था लेकिन केवल दो ही महिला जीत पाई थी जबकि 17 महिला प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी।हालांकि इस बार छोटी- बड़ी सभी राजनीतिक पार्टियों के अलावा निर्दलीयों को मिलाकर 22 महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रहीं हैं।