- गोगोई के पिता असम के मुख्यमंत्री थे
- गोगोई के साथ काम करने का अवसर मिलना मेरा सौभाग्य :जस्टिस बोबडे
- गोगोई ने 40 दिन में अयोध्या मामले की सुनवाई खत्म करके 15 दिन में फैसला दिया
नई दिल्ली/ New Delhi: रंजन गोगोई को अयोध्या केस, राफेल डील, चीफ जस्टिस के ऑफिस को आरटीआई के दायरे में लाने और सबरीमाला मंदिर से जुडे़ ऐतिहासिक फैसले के किए वर्षो तक याद रखा जाएगा. जनवरी 2018 में तीन अन्य वरिष्ठ जजों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेस करके न्यायिक सुधारों का बिगुल बजाने वाले न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने विनम प्रेस नोट के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर से विदाई ली। सुप्रीम कोर्ट में इसके पहले 45 अन्य चीफ जस्टिस रहे है। पंरतु गोगोई ने अपने फैसलों से देश और न्यायिक व्यवस्था पर अमिट छाप छोड़ी है।
गोगोई के पिता असम के मुख्यमंत्री थे तत्कालीन कानून मंत्री ने उनके पिता से पूछा कि रंजन गोगोई राजनिति में कब आएंगे इस पर गोगोई के पिता ने जवाब दिया कि मेरा बेटा राजनीति में कभी नही आएगा और एक दिन वह भारत का चीफ जस्टिस बनेगा
रामलला न्यायिक मूर्ति और राम मंदिर का निमार्ण
अयोध्या मामला दो शताब्दी से प्रशासन और अदालतों के चक्कर काट रहा था। कभी दस्तावेज और कभी अनुवाद के नाम पर सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 10 वर्षो से लटका था। चीफ जस्टिस बनने के बाद गोगोई ने 5 जजों की बेंच का गठन किया न्यायिक सुनवाई शुरू करने के पहले उन्होने सभी पक्षों को मध्यस्था के माध्यम से समस्या का समाधान करने का मौका दिया। जिसके बाद उन्होने 40 दिन में मामले की सुनवाई खत्म करके 15 दिन में राम मंदिर के पक्ष में सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला दे दिया। दिल्ली के एक समारोह में व्याख्यान देते हुए गोगोई ने कुछ दिन पहले ही कहा था, “खुशहाली बढ़ने पर मुकदमेबाजी कम की जा सकती है” अय़ोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद देश में शांति और खुशहाली बढ़ने की उम्मीद होगी।
सफल टीम लीडर और कुशल नेतृत्व
अयोध्या फैसले में सभी जजों की सर्वसम्मति से न्यायमूर्ति गोगोई की टीम लीडर-शिप और प्रशासनिक कुशलता भी देखने को मिली। राष्ट्रपति कोविंद की अपील के बाद गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों का हिदी और अन्य देशी भाषाओं में अनुवाद और प्रकाशन करवाने की राष्ट्रीय पहल की। उसी परंपरा में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रकाशित कोप्टस ऑफ इंडिया पास्ट टू प्रेजेंट पुस्तक के असमिया संस्करण का विमोचन गुवाहाटी में हुआ। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के भावी चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा गोगोई के साथ काम करने का अवसर मिलने को वो सौभाग्य मानते है। बोबडे के अनुसार गोगोई का धैर्य साहस और चरित्र इतना मजबूत है कि कुछ भी गलत होना मुश्किल है। सुप्रीम कोर्ट के जज अरूण मिश्रा ने कहा मुख्य न्यायमूर्ति गोगोई ने देश के समक्ष मौजूद सर्वाधिक महत्वपूर्ण अनिवार्य फैसलों पर निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट के अन्य जज रवींद्र भट्ट ने चीफ जस्टिस गोगोई की तारीफ करते कहा अयोध्या मामले में हम सभी ने इतिहास बनते देखा और यह फैसला भारतीय इतिहास में अमर रहेगा।
अगले चीफ जस्टिस के लिए CJI रंजन गोगोई का प्रस्ताव
चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई ने अगले चीफ जस्टिस के तौर पर वरिष्ठतम जज जस्टिस एसएस बोबडे के नाम का प्रस्ताव दिया है। ऐसी परंपरा रही है कि रिटायरमेंट से पहले चीफ जस्टिस अपने बाद के उत्तराधिकारी का चुनाव करता है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। चीफ जस्टिस ने केंद्र को एक पत्र भेजा जिसमें उन्होंने अगले चीफ जस्टिस के लिए जस्टिस बोबडे के नाम का प्रस्ताव पेश किया था । जस्टिस बोबडे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जस्टिस हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जस्टिस गोगोई ने कानून मंत्रालय को पत्र लिखा और अगले चीफ जस्टिस के लिए जस्टिस बोबडे का नाम दिया है। जस्टिस गोगोई ने भारत के 46वें चीफ जस्टिस के तौर पर 3 अक्टूबर 2018 को शपथ ली थी और 17 नवंबर 2019 को अपने पद से रिटायर होने वाले हैं। अयोध्या मामले में फैसले के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपनी विदेश यात्रा कैंसल कर दी थी । अगर चीफ जस्टिस के इस सुझाव को मान लिया जाता है तो जस्टिस शरद अरविंद बोबडे 47वें चीफ जस्टिस का पद संभालने वाले हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायरमेंट के एक दिन बाद 18 नवंबर को 63 वर्षीय जस्टिस बोबडे इस पद की शपथ ले सकते हैं। वे सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं। चीफ जस्टिस बनने के बाद जस्टिस बोबडे का कार्यकाल करीब 18 माह होगा। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस के तौर पर काम करने के बाद वर्ष 2012 के अप्रैल माह में बोबडे का प्रमोशन किया गया था। महाराष्ट्र मूल के जस्टिस बोबडे ने नागपुर यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने बांबे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच के साथ प्रैक्टिस की।