नई दिल्ली: टूलकिट (Toolkit) केस में दिल्ली (Delhi) पुलिस (Police) ने एक किरदार का खुलासा किया है। इस नए किरदार का नाम पीटर फैड्रिक है। दिल्ली (Delhi) पुलिस (Police) के मुताबिक पीटर फैड्रिक इस पूरे टूलकिट मामले का मास्टरमाइंड है।
जिस टूल (Tool) किट (Kit) को लेकर विवाद चल रहा है उसका नाम ग्लोबल फार्मर्स स्ट्राइक और ग्लोबल डे ऑफ एक्शन 26 जनवरी रखा गया था। दिल्ली (Delhi) पुलिस (Police) का दावा है कि पीटर फैड्रिक साल 2006 से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है।
पुलिस (Police) के मुताबिक पीटर फैड्रिक बताता था कि सोशल मीडिया पर किसे है टैग करना है, क्या हैशटैग करना है और किस पोस्ट को ट्रेंड करवाना है। पीटर फैड्रिक खालिस्तानी आतंकी भजन सिंह भिंडर का साथी है। भजन सिंह आईएसआई के लिए भी काम कर चुका है।
दिल्ली पुलिस को निकिता जैकब और शांतनु मुलुक की तलाश
टूलकिट (Toolkit) केस (Case) में पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा (Disha) रवि (Ravi) की गिरफ्तार के बाद अब दिल्ली (Delhi) पुलिस (Police) मुंबई की वकील निकिता जैकब और एक शख्स शांतनु मुलुक को सरगर्मी से तलाश रही है।
आरोप है कि इन्होंने टूलकिट (Toolkit) बनाकर किसान आंदोलन के बहाने भारत को बदनाम करने की साजिश रची थी। दिल्ली (Delhi) पुलिस (Police) की जांच में सामने आया कि दिशा, निकिता और शांतनु के तार खालिस्तान समर्थित पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से हैं।
टूलकिट के जरिए डिजिटल स्ट्राइक की साजिश थी- दिल्ली पुलिस
टूलकिट (Toolkit) केस में दिल्ली (Delhi) पुलिस (Police) ने बड़ा खुलासा किया है। दिल्ली (Delhi) पुलिस (Police) ने कहा कि टूलकिट के जरिए डिजिटल स्ट्राइक की साजिश थी। भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने का मकदस था।
दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु ने टूलकिट बनाई थी। दिशा रवि ने ग्रेटा थनबर्ग को टूलकिट भेजी थी। पुलिस (Police) ने कहा कि टूलकिट के पीछे खालिस्तानी संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीजेएफ) है।
पीजेएफ ने जूम पर मीटिंग की थी। दिशा, निकिता और शांतनु जूम पर मीटिंग में शामिल हुए थे। 26 जनवरी को हिंसा के बाद सोशल मीडिया के जरिए अफवाह फैलाई गई। दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि टेलीग्राम के जरिए दिशा रवि ने ग्रेटा थनबर्ग को टेलीग्राम एप के जरिए टूलकिट भेजी थी। मकसद था कि भारत के दूतावास पर प्रदर्शन हो। निकिता के खिलाफ सर्च ऑपरेशन 9 फरवरी को लिया गया।
टूल किट क्या है ?
डिजिटल हथियार, जिसका इस्तेमाल सोशल मीडिया पर आंदोलन को हवा देने के लिए होता है। पहली बार अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के दौरान इसका नाम सामने आया था। इसके जरिए किसी भी आंदोलन को बड़ा बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों जोड़ा जाता है। इसमें आंदोलन में शामिल होने के तरीकों को बारे में सिलसिलेवार ढंग से बताया जाता है।