उत्तराखंड (Uttrakhand) में गढ़वाल और कुमाऊं सेक्टर में सैन्य बल बढ़ा दिया गया है. उत्तरकाशी के चिन्यालिसौर में एयरफोर्स ने हवाई पट्टी को एक्टिव कर दिया है.
चीन (china) की नजर यहां भी हमेशा रही है तो इस मोर्चे पर भारत (india) पूरी तरह तैयार हो चुका है. सिक्किम में सैन्य बल बढ़ाया जा चुका है. अरुणाचल प्रदेश में भी भारत ने पूरा इंतजाम कर रखा है.
गलवान घाटी में धोखेबाजी करने वाले चीन को सबक सिखाने के लिए भारत हर स्तर पर है. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती से लेकर हिंद महासागर में नौसेना के बेड़े को बढ़ाने तक.
जल-थल और नभ में भारत (india) ने जिस तरह अपनी शक्ति को स्थापित किया है, उससे पार पाना भी चीन के लिए बिल्कुल आसान नहीं होगा.
इस समय भी हर मोर्चे पर भारतीय (indian) सेना (army) चीन (china) के सामने डटी हुई है. चीन के चालबाज चरित्र को समझते हुए भारत चौकन्ना है और इसी के चलते सरहद से जुड़े हर मोर्चे पर मुस्तैद है.
लद्दाख में 3 इंफैंट्री डिविजन डिप्लायड हैं. इसके अलावा ऊंचाई पर युद्धाभ्यास करने वाली दो अलग-अलग ब्रिगेड भी तैनात हैं. हिमाचल प्रदेश में अतिरिक्त ट्रूप्स भेजे जा चुके हैं.
जम्मू कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल में उत्तरी आर्मी कमांड में 34,000 भारतीय सैनिक तैनात हैं. उत्तराखंड में केंद्रीय आर्मी कमांड में 15,500 सैनिक तैनात हैं.
और सिक्किम, अरुणाचल, असम, नागालैंड और बंगाल में पूर्वी आर्मी कमांड में 1 लाख 75 हज़ार 500 सैनिक तैनात हैं. इस तरह सैनिकों की कुल संख्या हो जाती है 225,000.
सुकना में 33 कोर, तेजपुर में 4 कोर, रांची में 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर को भारत ने तैनात कर दिया है. इसके अलावा वायु सेना की ओर से एलएसी से सटे बेस पर लड़ाकू विमानों की तैनाती भी की गई है.
साथ ही नौसेना ने हिंद महासागर में अपनी ताकत को बढ़ाना शुरू कर दिया है. यानी जल, थल और नभ. हर जगह भारत तैयार है.
भारत के पास ज्यादा अनुभवी सेना
इस बीच चीन के रक्षा विशेषज्ञ और सैन्य चीनी मैगजिन मॉर्डर्न वैपनरी के संपादक हुआंग गुओझी ने लिखा है कि पहाड़ी मैदान और पर्वतीय क्षेत्रों में सबसे ज्यादा अनुभवी सेना सिर्फ भारत के पास है और 12 डिवीजन में 2 लाख सैनिकों के साथ भारत दुनिया की सबसे शक्तिशाली माउंटेन फाइटिंग फोर्स है.