- ‘अम्फान’ सुपर साइक्लोन अब कोलकाता पहुंचने वाला है
- मौसम विभाग ने बताया कि चक्रवात का नेत्र भी लैंडफाल करेगा और इससे बड़ा नुकसान हो सकता है
- दरअसल किसी चक्रवात के मध्यभाग को साइक्लोन आइ कहते हैं
- यह कम दबाव का क्षेत्र होता है और इसके बाहरी हिस्से को आइवॉल कहते हैं
चक्रवात का सबसे घना हिस्सा उसके ‘नेत्र’ या आई के चारों तरफ होता है। इसे आई-1 कहा जाता है। चक्रवात का अगला हिस्सा जमीन पर पहुंच चुका है। इसके बाद चक्रवात के ‘नेत्र’ अंदर जाएगा। इसके बाद चक्रवात का पिछला हिस्सा लैंडफाल करेगा। इसमें भी भारी दबाव का क्षेत्र होता है और तेज हवाएँ चलती हैं।
तूफान का मध्य भाग जहां इसका असर सबसे ज्यादा होता है उसे आइ या तूफान का नेत्र कहते हैं। तस्वीर में पीले रंग से ‘नेत्र’ को दिखाया गया है। यह कम दबाव का क्षेत्र होता है और लैंड पर पहुंचने के बाद भारी तबाही मचाता है। उसके बाहर का क्षेत्र जो हरे रंग से दिखाया गया है, ‘आइवॉल’ कहलाता है। मौसम विभाग की तरफ से बताया गया कि पश्चिम बंगाल में अभी आइ का बाहरी हिस्सा लैंड हुआ है। अभी तूफान की स्पीड और बढ़ सकती है और तेज हवाओं के साथ बारिश तेज हो सकती है।
ओडिशा से ज्यादा पश्चिम बंगाल में हो सकता है नुकसान
उम्मीद यह है कि कोलकाता के पास आएगा तो कोलकाता, हुगली और हावड़ा आदि जिलों में भी हवा की रफ्तार 110 से 135 किलोमीटर तक रह सकती है। ओडिशा में 106 से 107 की रफ्तार से भारी नुकसान हुआ है, तो फिर बंगाल में नुकसान क्या होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है। सबसे ज्यादा हवा की रफ्तार साउथ और नॉर्थ 24 परगना और मिदनापुर जिलों में होगी। यहां रफ्तार करीब 155 से 185 तक हो सकती है।