अयोध्या: राम मंदिर आंदोलन के नायक अशोक सिंघल ने सप्तर्षि देवरहा बाबा के निर्देश पर ‘नई अयोध्या’ बसाने का स्वप्न देखा था। उन्होंने सरयू नदी की तलहटी में समाए हजारों एकड़ भूमि पर नवीन अयोध्या की कल्पना को मूर्त रूप देने के लिए पूरा मास्टर प्लान भी तैयार कराया था। इस मास्टर प्लॉन को उन्होंने वर्ष 1998-99 में तत्कालीन कल्याण सरकार को सौंपा था, लेकिन राजनीतिक उठापटक के कारण प्रस्ताव फाइलों में ही धूल फांकता रह गया। इस योजना पर अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे कदम बढ़ाया है।
इसके लिए अयोध्या के उस पार की जमीनों के अधिग्रहण की पृष्ठभूमि तैयार हो गई है। शासन के निर्देश पर गोंडा प्रशासन की ओर से तरबगंज तहसील के दुर्गागंज मांझा व महेशपुर ग्रामसभा की करीब साढ़े आठ सौ हेक्टेयर जमीनों की नाप-जोख की शुरुआत हो गई है। इसकी पुष्टि अधिकारिक स्तर पर की गई है। तरबगंज तहसील के एसडीएम ने बताया कि शासन के निर्देश पर दो ग्राम पंचायतों में स्थित 860.469 हेक्टेयर भूमि चिह्नित कर आख्या भेज दी गई है।
इससे पहले जिला प्रशासन की ओर से सदर तहसील के अन्तर्गत मांझा जमथरा क्षेत्र में स्थित नजूल विभाग की करीब तीन सौ हेक्टेयर जमीन का प्रस्ताव पहले ही भेजा चुका है। मंदिर आंदोलन के पुरोधा महंत रामचन्द्र दास परमहंस के पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित करने अगस्त माह के आरंभ में अयोध्या आए मुख्यमंत्री को प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण भी करवाया जा चुका है। भगवान राम की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा के स्थापना के स्थल के रूप में भी जिला प्रशासन इसी स्थान पर विशेष जोर दे रहा है।
वह भी तब जबकि मुख्यमंत्री योगी ने स्वयं मीरापुर द्वाबा क्षेत्र की भूमि को भगवान राम की मूर्ति स्थापना के लिए चयनित किया था और प्रस्ताव भी मंगवाया गया था। फिर भी जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने मीरापुर द्वाबा क्षेत्र में अधिग्रहीत जमीन के मृदा परीक्षण कराने का प्रस्ताव भेज दिया। उनके प्रस्ताव पर शासन की ओर से तकनीकी कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी की ओर से प्रस्तावित स्थल का भौतिक सत्यापन किया जा चुका है।