नई दिल्ली : नए साल की शुरुआत के बाद आज देशभर में पहला त्यौहार लोहड़ी (Lohri) मनाया जा रहा है। लोहड़ी (Lohri) खासतौर पर उत्तर भारत (India) में मनाया जाने वाला त्यौहार है। हर साल मकर संक्रांति से पहले वाले दिन लोहड़ी (Lohri) मनाई जाती है।
वैसे इस त्यौहार की सबसे अधिक धूम पंजाब (Panjab) और हरियाणा (Haryana) में देखने को मिलती है। इस दिन किसान आग जलाकर नाचते गाते हैं और अग्नि को भी फसल से निकले दाने भेंट किए जाते हैं।
लोहड़ी का महत्व
लोहड़ी (Lohri) का भारत में बहुत महत्व है। लोहड़ी एक ऐसे पर्व के रूप में मनाई जाती है जो सर्दियों के जाने और बसंत के आने का संकेत है। लोहड़ी यूं तो आग लगाकर सेलिब्रेट की जाती है लेकिन लकड़ियों के अलावा उपलों से भी आग लगाना शुभ माना जाता है।
लोहड़ी (Lohri) के पावन मौके पर लोग रबी की फसल यानि गेहूं, जौ, चना, मसूर और सरसों की फसलों को आग को समर्पित करते हैं। इस तरीके से देवताओं को चढ़ावा और धन्यवाद दिया जाता है।
ये वही समय होता है जब रबी की फसलें कटघर घर आने लगती हैं। आमतौर लोहड़ी (Lohri) का त्योहार सूर्य देव और अग्नि को आभार प्रकट करने, फसल की उन्नति की कामना करने के लिए मनाया जाता है।
आखिर क्यों मनाते हैं लोहड़ी
आपने लोहड़ी (Lohri) तो खूब मनाई होगी लेकिन क्या असल में आप जानते हैं क्यों मनाई जाती है लोहड़ी। बहुत से लोग लोहड़ी (Lohri) को साल का सबसे छोटा दिन और रात सबसे लंबी के तौर पर मनाते हैं। पारंपरिक मान्यता के अनुसार, लोहड़ी फसल की कटाई और बुआई के तौर पर मनाई जाती है।
लोहड़ी (Lohri) को लेकर एक मान्यता ये भी है कि इस दिन लोहड़ी का जन्म होलिका की बहन के रूप में हुआ था। बेशक होलिका का दहन हो गया था। किसान लोहड़ी (Lohri) के दिन को नए साल की आर्थिक शुरुआत के रूप में भी मनाते हैं।