जानिए कौन से हैं दुनियाँ के यह ख़ास 12 धर्म

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दुनिया में धर्मों की संख्या यूँ तो लगभग 300 से ज्यादा होगी, लेकिन व्यापक रूप से पांच धर्म ही प्रचलित हैं हिन्दू, जैन, बौद्ध, ईसाई, इस्लाम और सिख। इसके अलावा भी कई और धर्म भी अपना अस्तित्व बनाए रखे हुए हैं तो कुछ अपना अस्तित्व खो चुके हैं। आओ जानते हैं कि वे कौन से धर्म हैं।

1.हिन्दू धर्म : हिंदू और जैन धर्म की उत्पत्ति पूर्व आर्यों की अवधारणा में है जो 4500 ईपू. (आज से 6500 वर्ष पूर्व) मध्य एशिया से हिमालय तक फैले थे। विद्वानों ने वेदों के रचनाकाल की शुरुआत 4500 ईपू से मानी है। इस मान से लिखित रूप में आज से 6508 वर्ष पूर्व पुराने हैं वेद। ऋग्वेद को संसार की सबसे प्राचीन और प्रथम पुस्तक माना है। इसी पुस्तक पर आधारित है हिंदू धर्म।
  • नास्तिकता भी इस धर्म का हिस्सा:- हिंदू धर्म का सबसे अनोखा फैक्ट ये है कि नास्तिकता भी इस धर्म का हिस्सा है। धर्म को उनके द्वारा भगवान को कैसे माना जाता है इस बात पर परिभाषित किया जाता है। इसमें नास्तिक (बिना भगवान वाला), अद्वैतवाद या एकेश्वरवाद (Monotheism) यानी सिर्फ एक भगवान, बहुदेववाद या Polytheism यानी अनेक देवताओं में विश्‍वास शामिल है। हिंदू धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिसमें तीनों बातें शामिल हैं। तैंतीस करोड़ देवी देवता भी हैं और एक ईश्वर ब्रह्मा भी हैं। इसके अलावा, ये धर्म नास्तिकता को भी मानता है कि दुनिया में कोई भगवान ही नहीं बल्कि आत्मा है।
  • कण-कण में बसे भगवान:- हिंदू धर्म में सिर्फ मूर्तियों को ही नहीं बल्कि किसी भी चीज़ की पूजा की जा सकती है। हिंदू धर्म ही एक ऐसा है जिसमें फूल, पत्ती, पेड़, पौधे, पत्थर, नदी, मछली किसी भी चीज़ को भगवान मान लिया जाता है। हवा को भी पवन देव कहा जाता है. आग को भी अग्निदेव. ऐसा इसलिए है क्योंकि हिंदू धर्म अपनी सुविधा के हिसाब से भगवान का रूप चुनने की इजाजत देता है।

2.जैन धर्म : दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म जैन धर्म को श्रमणों का धर्म कहा जाता है। वेदों में प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि वैदिक साहित्य में जिन यतियों और व्रात्यों का उल्लेख मिलता है वे ब्राह्मण परम्परा के न होकर श्रमण परम्परा के ही थे। मनुस्मृति में लिच्छवि, नाथ, मल्ल आदि क्षत्रियों को व्रात्यों में गिना है।
  • जैन शब्द का अर्थ : जैन शब्द जिन शब्द से बना है। जिन बना है ‘जि’ धातु से जिसका अर्थ है जीतना। जिन अर्थात जीतने वाला। जिसने स्वयं को जीत लिया उसे जितेंद्रिय कहते हैं।
  • महावीर स्वामी के सिद्धांत : अहिंसा, अनेकांतवाद, स्यादवाद, अपरिग्रह और आत्म स्वातंत्र्य। मन, वचन और कर्म से हिंसा नहीं करना ही अहिंसा है। अनेकांतवाद अर्थात वास्तववादी और सापेक्षतावादी बहुत्ववाद सिद्धांत और स्यादवाद अर्थात ज्ञान की सापेक्षता का सिद्धांत। उक्त दोनों सिद्धांतों में सिमटा है भगवान महावीर का दर्शन।
3.यहूदी धर्म : आज से करीब 4000 साल पुराना यहूदी धर्म वर्तमान में इसराइल का राजधर्म है। दुनिया के प्राचीन धर्मों में से एक यहूदी धर्म से ही ईसाई और इस्लाम धर्म की उत्पत्ति हुई है। यहूदी एकेश्वरवाद में विश्वास करते हैं। मूर्ति पूजा को इस धर्म में पाप समझा जाता है।
  • दुनिया के प्राचीन धर्मों में से एक यहूदी धर्म से ही ईसाई और इस्लाम धर्म की उत्पत्ति हुई है। पवित्र पवित्र भूमि, धार्मिक ग्रंथ, अंजील, हदीस और ताल्मुद की कल्पना एक ही है।  हजरत अब्राहम को यहूदी, मुसलमान और ईसाई तीनों धर्मों के लोग अपना पितामह मानते हैं। आदम से अब्राहम और अब्राहम से मूसा तक यहूदी, ईसाई और इस्लाम सभी के पैगंबर एक ही है किंतु मूसा के बाद यहूदियों को अपने अगले पैंगबर के आने का अब भी इंतजार है।
  • यहूदियों का सबसे प्राचीन स्थल अब एक परिसर और पवित्र दीवार के रूप में विद्यमान है जो जेरूशलम में स्थित है। इस पर यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म, तीनों ही दावा करते हैं, यही शहर ईसा मसीह की कर्मभूमि रहा है। यहीं से हजरत मुहम्मद स्वर्ग गए थे। इसीलिए यह विवाद का केंद्र है। यही पर मूसा ने यहूदियों को धर्म की शिक्षा दी थी।

4.पेगन धर्म : पेगन धर्म को मानने वालों को जर्मन के हिथ मूल का माना जाता है, लेकिन यह रोम, अरब और अन्य इलाकों में भी बहुतायत में थे। हालांकि इसका विस्तार यूरोप में ही ज्यादा था। एक मान्यता अनुसार यह अरब के मुशरिकों के धर्म की तरह था और इसका प्रचार-प्रसार अरब में भी काफी फैल चुका था। यह धर्म ईसाई धर्म के पूर्व अस्तित्व में था।
  • ईसाईयत से पहले पेगन धर्म के लोगों की ही तादाद ज्यादा थी और वे अग्नि और सूर्य आदि प्राकृतिक तत्वों के मंदिर बनाकर उसमें उनकी मूर्तियाँ स्थापित करते थे जहाँ विधिवत पूजा-पाठ वगैरह होता था।
  • पेगन धर्म के लोग यह मानते थे कि यह ब्रह्मांड ईश्‍वर की प्रतिकृ‍ति है इसीलिए वे प्रकृति के सभी तत्वों की आराधना करते थे। चाहे वृक्ष हो, पशु हो, पहाड़, नदी, पक्षी हो, औरत हो, महान मनुष्य हो या निर्जिव वस्तु। वे प्रकृति, मौसम, जीवन और मृत्यु के चक्र को मानकर उनके अनुसार ही जीवन जीते थे।

5.वूडू धर्म : वूडू…इसे आप कोई भी नाम दे सकते हैं क्योंकि यह ‍दुनिया भर की आदिम जातियों, आदिवासियों का प्रारंभिक धर्म रहा है। हर देश में इसका नाम और थोड़े बहुत फेरबदल के साथ तरीका अलग हो सकता है, लेकिन यह है झाड़-फूंक, जादू-टोने, काल्पनिक देवता और कबीले की प्राचीन परंपरा का धर्म।

6.पारसी धर्म : प्राचीन फारस (आज का ईरान) जब पूर्वी यूरोप से मध्य एशिया तक फैला एक विशाल साम्राज्य था, तब पैगंबर जरथुस्त्र ने एक ईश्वरवाद का संदेश देते हुए पारसी धर्म की नींव रखी।

7.जेन धर्म : जेन (zen) को झेन भी कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ ‘ध्यान’ माना जाता है। यह सम्प्रदाय जापान के सेमुराई वर्ग का धर्म है। सेमुराई समाज यौद्धाओं का समाज है। इसे दुनिया की सर्वाधिक बहादुर कौम माना जाता था। जेन का विकास चीन में लगभग 500 ईस्वी में हुआ। चीन से यह 1200 ईस्वी में जापान पहुँचा।

8.बौद्ध धर्म : ईसाई और इस्लाम धर्म से पूर्व बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी। उक्त दोनों धर्म के बाद यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत आदि देशों में रहते हैं।


10.ईसाई धर्म : आज से 2 हजार वर्ष पूर्व ईसाई धर्म की उत्पत्ति हुई थी। इस धर्म के संस्थापक है ईसा मसीह। ईसा मसीह का जीवन आज तक विवाद का विषय रहा है। क्या है उनके जीवन की सच्चाई या सच में ही उनका जीवन वैसा ही रहा जैसा कि बाइबिल में बताया जाता है या कि कुछ और। आओ सत्य को जानने का प्रयास करें।


11.इस्लाम धर्म : आज से 14सौं साल पहले इस्लाम धर्म की उत्पत्ति हज. मुहम्मद अलै. ने की थीं। अल्लाह के हुक्म से हजरत मुहम्मद सल्ल. ने ही इस्लाम धर्म को लोगों तक पहुंचाया है। आप हजरत सल्ल. इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आप के बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला।

12.सिख धर्म : सिख धर्म के दस गुरुओं की कड़ी में प्रथम हैं गुरु नानक। आज से 600 वर्ष पूर्व हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए सिख धर्म की उत्पत्ति हुई थी। इस धर्म के व्यवस्थित रूप दिया गुरु गोविंद सिंह जी ने।

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