नई दिल्ली : नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथियों पर मां महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन तिथियों पर कन्याओं को घरों में बुलाकर भोजन कराया जाता है।
नवरात्रि में नौ कन्याओं को भोजन करवाना चाहिए क्योंकि 9 कन्याओं को देवी दुर्गा के 9 स्वरुपों का प्रतीक माना जाता है। कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन करवाना पड़ता है जिन्हें बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है। मां के साथ भैरव की पूजा जरूरी मानी गई है।
24 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी एक ही दिन मनाई जाएगी. इन दिन मां महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा करने का प्रावधान है. इन तिथियों पर कन्याओं को घरों में बुलाकर भोजन कराया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन का क्या महत्व होता है और आपको कन्या पूजन करते समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।
नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथियों पर मां महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन तिथियों पर कन्याओं को घरों में बुलाकर भोजन कराया जाता है।
नवरात्रि में नौ कन्याओं को भोजन करवाना चाहिए क्योंकि 9 कन्याओं को देवी दुर्गा के 9 स्वरुपों का प्रतीक माना जाता है। कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन करवाना पड़ता है जिन्हें बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है। मां के साथ भैरव की पूजा जरूरी मानी गई है।
महा अष्टमी कब है
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, अष्टमी और नवमी एक ही दिन होने के बावजूद भी देवी मां की अराधना के लिए भक्तों को पूरे नौ दिन मिलेंगे। इस साल अष्टमी तिथि का प्रारंभ 23 अक्टूबर (शुक्रवार) को सुबह 06 बजकर 57 मिनट से हो रहा है, जो कि अगले दिन 24 अक्टूबर (शनिवार) को सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक रहेगी।
ज्योतिर्विद के अनुसार, जो लोग पहला और आखिरी नवरात्रि व्रत रखते हैं, उन्हें अष्टमी व्रत 24 अक्टूबर को रखना चाहिए। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, 24 अक्टूबर को अष्टमी व्रत रखना उत्तम है। इस दिन महागौरी की पूजा का विधान है।
महानवमी कब है
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल महानवमी तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर (शनिवार) की सुबह 06 बजकर 58 मिनट से हो रहा है। जो कि अगले दिन 25 अक्टूबर (रविवार) को सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। नवरात्रि व्रत पारण 25 अक्टूबर को किया जाएगा। नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है।