डॉ गुरुजी कुमारन स्वामी से जाने करवा चौथ का शुभ मुहूर्त

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करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद ही खास माना जाता है। इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं।

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त जानें

करवा चौथ पूजा मुहूर्त : 17:34:29 से 18:40:15 तक अवधि :1 घंटे 6 मिनट करवा चौथ चंद्रोदय समय :20:12:59

इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 4 नवंबर 2020 को मनाया जा रहा है। करवा चौथ के व्रत में महिलाएं दिन-भर निर्जला व्रत रखती हैं, और रात में चंद्रोदय के बाद पूजा करने के बाद भोजन करती हैं।

इस दिन इस व्रत के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी महिला या लड़की इस दिन व्रत रखती है उसके पति या होने वाले पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन हमेशा ख़ुशियों से भरा रहता है। यह व्रत सूर्योदय से पहले शुरू हो जाता है और चाँद निकलने तक रखा जाता है।

करवा चौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से पहले ही 4 बजे के बाद शुरु होकर रात को चंद्र दर्शन के बाद ही खोला जाता है। इस दिन मान्यता के अनुसार भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है।

वैसे तो शादी के बाद 12 या 16 साल तक लगातार इस व्रत को करने का नियम बताया गया है लेकिन कुछ महिलाएं ताउम्र इस व्रत को रखती हैं। पति की लंबी उम्र के लिये इससे श्रेष्ठ कोई उपवास नहीं होता है।

करवा चौथ पूजन विधि

करवा चौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठने का खास महत्व बताया गया है। सुबह सूर्योदय से पहले इसलिए उठना होता है क्योंकि देश के कई हिस्सों में सरगी की प्रथा का पालन किया जाता है। सरगी में सास अपनी बहू को खाने के लिए भोजन इत्यादि देती हैं, इसलिए सुबह उठकर स्नानादि करके महिलाएं सरगी में मिला हुआ भोजन खाती हैं, ढेर सारा पानी पीती हैं।

इसके बाद भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। करवा चौथ के दिन महिलाएं बिना कुछ खाए-पिए पूरे दिन व्रत रखती हैं। इसके बाद शाम को चाँद निकलने के बाद पूजा करती हैं और उसके बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन की पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवी देवताओं की स्थापना करवाई जाती है।

इसके बाद एक थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर, घी का दिया इत्यादि रखा जाता है। चाँद निकलने से लगभग एक घंटा पहले पूजा शुरु कर देनी चाहिए। इस दिन की पूजा में करवा चौथ की व्रत कथा सुनी जाती है।

चाँद को देखकर महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं, पूजा करती हैं, और उसके बाद ही अपने पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत पूरा करती हैं।

करवा चौथ का महत्व

क्या आप जानते हैं कि किसने सबसे पहले रखा था करवा चौथ का व्रत? करवा चौथ के व्रत की महिमा अपार बताई जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी महिला इस व्रत को करती है ना ही सिर्फ उसका पति लंबी उम्र पाता है बल्कि उनका जीवन निरोगी भी रहता है।

हिंदू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है कि यह व्रत सबसे पहले शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था। इसी व्रत के प्रभाव से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई थी और तभी से सुहागिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करते हुए इस व्रत का पालन करती हैं।

इस दिन क्या करें और क्या ना करें?

इस दिन नीले, भूरे, और काले रंग को अशुभता का प्रतीक माना जाता है। संभव हो तो इस दिन लाल रंग या चटक रंग के कपड़े पहने उससे अच्छे फल मिलते हैं। भूल कर भी इस दिन नीले, भूरे, या काले रंग के वस्त्र ना पहनें क्योंकि इन्हें अशुभ माना गया है। यह रंग ओजस्विता कम करता है।

इस दिन भूल से भी ना करें यह काम, इस दिन सुई, धागे, कैंची, अथवा सेफ्टी पिन का उपयोग ना करें। किसी भी सोए हुए इंसान को नींद से ना उठाएं। किसी की भी बुराई या चुगली ना करें।

वहीं इस दिन से जुड़े कुछ ऐसे भी काम हैं जिन्हें अवश्य करना चाहिए। जैसे,इस दिन अपनी बहू को सरगी अवश्य दें, वैसे तो सरगी का चलन भारत के कुछ हिस्सों में माना जाता है लेकिन सरगी को बेहद ही शुभ कहा जाता है।

व्रत शुरु होने से पहले सास अपनी बहू को कुछ मिठाइयां पकवान, नए कपड़े, श्रृंगार के सामान इत्यादि देती हैं जिन्हें सरगी कहा जाता है। बहुएं सरगी को खाकर ही अपने व्रत की शुरुआत करती हैं।

पूजा से पहले और बाद में भजन कीर्तन करें, इस दिन की पूजा में भजन-कीर्तन बेहद शुभ माना जाता है। इससे ना सिर्फ वातावरण में सकारात्मकता आती है बल्कि इससे पूजा का संपूर्ण और शुभ फल भी मिलता है।

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