राकेश मारिया कि किताब ‘Let Me Say It Now’ ने बनाई सुर्ख़ियों

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मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया ने 26/11 आतंकी हमले के दोषी अजमल कसाब को लेकर अपनी आत्मकथा में कई बड़े खुलासे किए हैं। मारिया ने दावा किया है कि पाकिस्तान में कसाब को इस बात का भरोसा दिलाया गया था कि भारत में मुस्लिमों को नमाज तक नहीं पढ़ने दी जाती है। राकेश मारिया ने अपनी किताब ‘Let Me Say It Now’ में लिखा है, ‘लश्कर-ए-तैयबा ने कसाब को पूरी तरह से भरोसा दिलाया था कि भारत में मुसलमानों को नमाज नहीं पढ़ने दी जाती है। जब वह पकड़ा गया और उसे जेल में बंद किया गया तो उसने अजान की आवाज सुनी, उसे सुनकर उसे इस बात का यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह भारत में नमाज की आवाज सुन रहा है।’ उन्होंने लिखा है कि जब बाद में कसाब को मेट्रो सिनेमा के पास मस्जिद में ले जाया गया तो वहां लोगों को नमाज पढ़ते देख वह हैरान हो गया।

“लश्कर ने कसाब को पूरी तरह से भरोसा दिलाया था कि भारत में मुसलमानों को नमाज नहीं पढ़ने दी जाती है। जब उसने जेल में अजान की आवाज सुनी तो उसे सुनकर कसाब को इस बात का यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह भारत में नमाज की आवाज सुन रहा है।” -राकेश मारिया की किताब के अंश

बहन की शादी के लिए दिए गए थे 1.25 लाख

मारिया की किताब में लिखा है, ‘मुंबई हमले के मिशन पर भेजने से पहले कसाब को एक सप्ताह की छुट्टी और 1.25 लाख रुपये दिए गए थे। लश्कर की ओर से ये पैसे कसाब की बहन की शादी के लिए दिए गए थे।’ किताब में यह भी दावा किया गया है कि कसाब ‘जिहाद’ या आतंक फैलाने के लिए लश्कर से नहीं जुड़ा था बल्कि लूटपाट करने के लिए लश्कर में शामिल हुआ था। बाद में उसे आतंक की तरफ मोड़ दिया गया।

‘हिंदू आतंकवाद का जामा पहनाने की थी साजिश’

किताब में यह भी दावा किया गया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का जामा पहनाने की भी कोशिश की थी। 10 हमलावरों को हिंदू साबित करने के लिए उनके साथ हिंदू नाम वाले फर्जी आईकार्ड भेजे गए थे। कसाब के पास भी एक ऐसा ही आईकार्ड मिला था, जिसपर उसका नाम समीर चौधरी लिखा हुआ था। 

“मुंबई हमले के मिशन पर भेजने से पहले कसाब को एक सप्ताह की छुट्टी और 1.25 लाख रुपये दिए गए थे। लश्कर की ओर से ये पैसे कसाब की बहन की शादी के लिए दिए गए थे।”-राकेश मारिया की किताब के अंश

26 नवंबर को मुंबई में हुए थे हमले

आपको बता दें कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में पाकिस्तान से समंदर के रास्ते आए 10 आतंकियों ने तीन जगहों पर हमला किया था। इन हमलों में 160 से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इन हमलावरों में एकमात्र अजमल कसाब ही था, जिसे मुंबई पुलिस जिंदा पकड़ सकी थी। कसाब को 21 नवंबर 2012 को पुणे की यरवडा जेल में फांसी दे दी गई थी।

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