ईरान : ईरान के परमाणु करार के कदम की आलोचना करने पर मंगलवार को यूरोपीय देशों पर निशाना साधते हुए उनपर अमेरिकी प्रतिबंधों से राहत दिलाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया। गौरतलब है कि पिछले साल अमेरिका 2015 के ईरान परमाणु समझौते (जेसीपीओए) से बाहर आ गया था, जिसके बाद से ईरान ने समझौते को लेकर अपनी प्रतिबद्धताओं को कम करना शुरु कर दिया। समझौते में शामिल रहे ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय संघ अभी भी इसे बचाने की कोशिश में जुटे हैं।
ईरान ने बीते सप्ताह परमाणु समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे हटते हुए तेहरान के दक्षिण में स्थित भूमिगत फरदो परमाणु संयंत्र में परमाणु संवर्द्धन आरंभ कर दिया था, जिसपर सोमवार को ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय यूनियन ने एक संयुक्त बयान में कहा कि ईरान का फरदो में गतिविधियां शुरु करना 2015 के परमाणु के तहत “अनुचित” है। बयान में कहा गया, “ई 3/ ईयू ने संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) की प्रतिबद्धताओं को पूरी तरह बरकरार रखा, जिसमें प्रतिबंध हटाना शामिल है। अब यह महत्वपूर्ण है कि ईरान जेसीपीओए की अपनी प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखे और जेसीपीओए में शामिल देशों के साथ तनाव को कम करने के लिए काम करे।”
ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने कटाक्ष करते हुए मंगलवार को ट्वीट किया, “आपने जेसीपीओए की प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखा ? सच में?” वहीं, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने मंगलवार को कहा कि ईरान ने अमेरिका के पीछे हटने के एक साल बाद अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं से पीछे हटाना शुरू कर दिया था ताकि अन्य पक्षों को इसके लिए समय दिया जा सके।रूहानी ने एक टीवी समाचार सम्मेलन में कहा, “हमने एक साल तक इंतजार किया।” उन्होंने कहा, “दुनिया में कोई भी हमें यह कह कर दोष नहीं दे सकता है कि आप आज जेसीपीओए के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को क्यों छोड़ रहे हैं और फरदो में गतिविधियां क्यों शुरु कीं?”