जहरीली गैसों को निगलने के लिए मजबूर है दिल्ली, कैसे 5 देशों ने प्रदूषण से जीती जंग

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नई दिल्ली (New Delhi): प्रदुषण (Pollution) से लड़ती आज दिल्ली की जनता कई जहरीली गैसों को निगलने के लिए मजबूर है। दिल्ली सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद समाधान संतोषजनक नहीं मिल पा रहें हैं । जीहां आजकल दिल्ली एनसीआर (Delhi NCR) में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। आज के युग में विज्ञान से मानव को जहां कुछ वरदान मिले है, वहीं कुछ अभिशाप भी उसके हिस्से में आयें हैं। ऐसे ही एक अभिशाप का नाम है प्रदूषण। जिसकी वजह से हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने प्रदूषित शहरों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के टॉप 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत के ही हैं। प्रदूषण आजकल हर दूसरे व्यक्ति के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। पूरे दिल्ली-एनसीआर पर काली धुंद छाई हुई है। कोहरा अस्थमा रोगियों की परेशानी बढ़ाता है मगर प्रदूषण वाली इस धुंद के जहर से कोई नहीं बच पाता। आइए जानते है कि कोहरे से कितना खतरनाक है स्मॉग।

स्मॉग की एक सांस में हम कितनी जहरीली गैस शरीर के भीतर लेकर जा रहे हैं हमे इसका अंदाज़ा भी नहीं है

कैसे बढ़ता है स्मॉग- दिन के समय प्रदूषित कण सूरज की रोशनी से रसायनिक क्रिया करके नए प्रदूषित कण बनाते हैं, इससे स्मॉग और बढ़ता है।
स्मॉग की एक सांस में पाया जाता है इन गैसों का जहर
-नाइट्रोजन ऑक्साइड: ये तीव्र प्रतिक्रियाशील गैसों का समूह है, जिसमें नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड घुली होती है। जिसका असर: प्रतिरोधक क्षमता में कमी, त्वचा के कैंसर का खतरा
-कार्बन मोनोऑक्साइड : यह रंगहीन और गंधहीन गैस है जो वाहन के ईंधन से पैदा होती है। इससे वातावरण की दृश्यता घटती है। जिसके कारण : सुनने की क्षमता में कमी, सिर व सीने में दर्द
-सल्फर डाईऑक्साइड : यह ऐसी गैस है जो पानी में घुलकर अम्ल बनाती है। असर : सांस उखड़ना
-ओजोन : यह वातावरण में मौजूद गैसों के सूर्य से प्रतिक्रिया करने पर पैदा होती है। जिसके कारण: आंखों में पानी आना, खराश

हवा में घुला जहर, कोहरे से ज्यादा खतरनाक प्रदूषण वाली काली धुंध

पानी के कणों वाला बादल है कोहरा- ठंडी नम हवा में जब जलस्त्रोतों में वाष्पीकरण होता है तो हवा में पानी की बूंदें इकट्ठी हो जाती हैं, जिसे कोहरा कहते हैं। बादल की तरह बनता है- कोहरा सर्दियों में बनता है। इसका निर्माण बादल की तरह होता है। यह बादल जमीन के करीब बनता है यानि बादल का वह भाग जो ऊपरी भूमि के संपर्क में आता है,वह कोहरा होता है।
धूप निकलते ही छंटता है- धूप आने पर कोहरा छंटने लग जाता है, क्योंकि तब हवा की नमी खत्म होती है। हवा चलने पर यह साफ हो जाता है।
परेशानियां बढ़ाता है- कोहरे में अस्थमा के मरीजों और दूसरी बीमारियों के कारण अस्वस्थ्य लोगों को परेशानी होती है। दृश्यता कम होने से जो परेशानियां पैदा होती हैं वो अलग।
ऐसे बनता है स्मॉग- वातावरण में मौजूद प्रदूषित कणों को स्मॉग कहते हैं। यह शब्द बीसवीं शताब्दी में चलन में आया जो अंग्रेजी के शब्द स्मोकी फॉग (धुएं वाला कोहरा) से मिलकर बना है। वातावरण की हवा में गंध आने लगती है।
गर्मियों में भी बनता है- कोयला जलाने, वाहन और औद्योगिक उत्सर्जन, वन और कृषि आग से पैदा होने वाले धुएं और धूल की वजह से यह पैदा होता है। स्मॉग जैसे हालात गर्मियों में भी तब बन जाते हैं, जब वायु में धूल कण और धुएं की मात्रा बहुत बढ़ जाती है।
बेहद खतरनाक- स्मॉग में भारी मात्रा में प्रदूषण के महीन कण (एएम 2.5 और पीएम 10) शामिल होते हैं। स्मॉग फेफड़े, किडनी तक को नुकसान पहुंचाता है। यह मधुमेह, एनीमिया के रोगियों के लिए बेहद घातक है।
धूप में बढ़ता- दिन के समय प्रदूषित कण सूरज की रोशनी से रसायनिक क्रिया करके नए प्रदूषित कण बनाते हैं, इससे स्मॉग और बढ़ता है।

जाने कैसे 5 देशों ने प्रदूषण से जीती जंग

वायु प्रदुषण Air Pollution- दिल्ली में इन दिनों हेल्थ इमरजेंसी लागू है। इसके मद्देनजर सरकार ने कई कदम उठाएं हैं, जिनमें निर्माण कार्यों पर रोक, सड़कों पर छिड़काव, ऑड-ईवन को लागू करना शामिल है। दुनिया के कई शहर इस तरह के हालात का सामना कर चुके हैं। देखते हैं ये शहर कैसे करते हैं स्थिति का सामना।
-पेरिस : 2015 में हवा खराब हुई तो ऑड-ईवन लागू किया गया और सार्वजनिक परिवहन को मुफ्त किया गया। अब हर माह एक रविवार को कार मुक्त दिन मनाया जाता है।
-चीन : दिल्ली जैसे हाल जब बीजिंग में हुए तो ऑड-ईवन शुरू किया गया। डीजल वाहन किए। यहां अब एप आधारित मिनीबस सुविधा चलाई जा रही है।
-नीदरलैंड : लोग साइकिल चलाते हैं। सरकार की कोशिश 2025 तक सभी वाहनों को बिजली और हाइड्रोजन वाहनों में बदलना है।
-लंदन : दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से प्रमुख लंदन ने ‘टॉक्सिक चार्ज’ नाम से दस पाउंड का कर शुरू कर दिया है। 2003 से यहां मध्य लंदन में अगर कोई पेट्रोल-डीजल से चलने वाला प्रवेश करे तो उसे जुर्माना देना पड़ता है।
-जर्मनी : यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी ने जलवायु प्रदूषण से निपटने के लिए यातायात जैसे क्षेत्रों के लिए कार्बन शुल्क शुरू किया है।
पर्यावरण सूचकांक में 177वें स्थान पर भारत ।

भारत की पर्यावरण स्थिति की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में 177वें पर है। यह सूचकांक हर दो साल में जारी होता है। 2016 में में 141वें स्थान पर था। यानि कि प्रदूषण में यहां स्थिति गंभीर हो रही है ।

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