SC ने तेलंगाना एनकाउंटर मामले का जिम्मा जिन्हें दिया है, जानिए जाने कौन हैं वीएस सिरपुरकर ?

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नई दिल्‍ली: तेलंगाना एनकाउंटर मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज एक जांच आयोग की टीम बनाई। इसके नेतृत्‍व का जिम्‍मा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस विकास श्रीधर सिरपुरकर (VS Sirpurkar) को सौंपा। रिटायरमेंट के आठ साल बाद मिली इस जिम्‍मेदारी को निभाते हुए उन्‍हें 6 माह के भीतर जांच रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करना है। बता दें कि इस टीम में उनके साथ बांबे हाई कोर्ट की रिटायर्ड जज रेखा बलडोटा (Rekha Baldota) व सीबीआई के पूर्व निदेशक कार्तिकेयन (Kartikeyan) भी शामिल हैं।

यतो धर्म, ततो जय’

जस्टिस विकास श्रीधर सिरपुरकर (VS Sirpurkar) ने एक बार ज्‍यूडिशल अकेडमी में सवाल किया, ‘सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्‍य क्‍या है?’ जवाब में 50 हाथ उठे और सबका जवाब था – ‘सत्‍यमेव जयते’ जो गलत जवाब था। जस्टिस ने सही जवाब बताया- ‘यतो धर्म, ततो जय।’ अर्थात जहां सही और सत्‍य है वहां विजय है। इस वाक्‍य का उद्धरण महाभारत में मिलता है। यही वाक्‍य कुरुक्षेत्र युद्ध की शुरुआत से पहले गांधारी ने दुर्योधन को आशीर्वाद देते हुए कहा था।

वर्ष 2011 में 21 अगस्‍त को 65 वर्ष की उम्र में रिटायर हो गए थे। पहले उन्‍होंने मद्रास हाई कोर्ट में बतौर जज काम किया। इसके बाद कलकत्‍ता हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस बने। सुप्रीम कोर्ट में साढ़े चार साल के अपने कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले किए। वह उस बेंच का हिस्सा थे जिसने कानून की विभिन्न शाखाओं, विशेष रूप से आपराधिक न्यायशास्त्र, और संवैधानिक, कराधान, सेवा कानून और मानवाधिकार के मुद्दों पर कई ऐतिहासिक निर्णय दिए।

रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले ही 10 अगस्‍त को 2001 में हुए दिल्‍ली के लाल किला पर आतंकी हमला मामले में पाकिस्‍तानी नागरिक मोहम्‍मद आरिफ की दया याचिका खारिज कर मौत की सजा को बरकरार रखा था। वहीं 2009 में ऑनर किलिंग के एक मामले में सिरपुरकर ने भाई को मिली मौत की सजा को घटाकर उम्र कैद (25 साल) की सजा में बदल दिया। इसी मामले में एक अन्‍य दोषी की भी मौत की सजा 20 साल के उम्र कैद में बदल दी थी।

शराब मामले में उन्‍होंने केरल सरकार की खिंचाई की थी। शराब माफिया के साथ सरकार के नेताओं और अधिकारियों के मिले होने और उन्‍हें शराब के व्‍यापार की सुविधा मुहैया कराने पर सिरपुरकर ने राज्‍य सरकार की पूरी खबर ली थी।

परिवार के सभी सदस्‍य वकील

22 अगस्‍त 1946 को सिरपुरकर का जन्‍म हुआ। महाराष्‍ट्र के चंद्रपुर जिले के स्‍कूल से उन्‍होंने मैट्रिक की पढाई की। इसके बाद 1966 में नागपुर के मॉरिस कॉलेज से उन्‍होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। फिर नागपुर के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लॉ से कानून की डिग्री हासिल की। उनके पिता, मां, बहन, बेटा, पत्‍नी और भाई भी पेशे से वकील हैं।

नागपुर से ही प्रैक्टिस की शुरुआत

नागपुर के हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की। इसके बाद वहां उनका चयन हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सेक्रेटरी और ज्‍वाइंट सेक्रेटरी के तौर पर हुआ। इसके बाद महाराष्‍ट्र बार काउंसिल के सदस्‍य के तौर पर उन्‍हें दो बार 1985 और 1991 में चुना गया। इसके बाद 1992 में बांबे हाई कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्‍त किए गए। नागपुर में ज्‍यूडिशल ऑफिसर्स ट्रेनिंग इंस्‍टीट्यूट के इंचार्ज थे। 1997 में उनका स्‍थानांतरण मद्रास हाई कोर्ट में हुआ। यहां उन्‍होंने सीनियर जज का पद तो संभाला ही। साथ ही तमिलनाडु स्‍टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के एक्‍जीक्‍यूटीव चेयरमैन का पद भी संभाला।

उत्‍तरांचल में चीफ जस्टिस

उत्‍तरांचल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर उनकी पदोन्‍नति हुई। इस पद पर वे 25 जुलाई 2004 से 19 मार्च तक रहे। इस दौरान उन्‍होंने ज्‍यूडिशल अकेडमी ‘उजाला’ की शुरुआत की। नई दिल्‍ली में बार काउंसिल के लीगल एजुकेशन कमिटी के सदस्‍य भी रहे।

कोलकाता के हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस

उत्‍तरांचल से ट्रांसफर के बाद 20 मार्च 2005 में उन्‍होंने कोलकाता के हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस का पद संभाला। पश्चिम बंगाल में ज्‍यूडिशल अकेडमी की शुरुआत की। इसके बाद 12 जनवरी 2007 को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्‍त हुए। इसके बाद 21 अगस्‍त 2011 को यहां रिटायर हुए।

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