नई दिल्ली : बस मार्शल की बहादुरी और समझदारी के कारण चार साल की बच्ची का अपहरण होने से बच गया। रूट नंबर 728 पर चलने वाली क्लस्टर बस में तैनात मार्शल अरुण कुमार ने एक युवक के साथ बस में बैठी बच्ची के लगातार रोने को गंभीरता से लेते हुए कंडक्टर व ड्राइवर को बताया। उसके बाद बच्ची के बारे में पूछताछ करने पर युवक भागने लगा। मार्शल ने कंडक्टर के सहयोग से भाग रहे किडनैपर को पकड़ा और उसे पुलिस के हवाले कर दिया। ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर कैलाश गहलोत ने कहा मुख्यमंत्री ने भी इस बहादुर मार्शल से मुलाकात की और उन्हें बधाई दी। सरकार की ओर से जल्द ही मार्शल को सम्मानित किया जाएगा और सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। गहलोत ने बताया कि यह घटना बुधवार सुबह करीब 11 बजे की है। क्लस्टर बस गोयला डेरी से नई दिल्ली जा रही थी। बस में अरुण कुमार और कंडक्टर वीरेंद्र थे। पालम फ्लाइओवर से 18 साल का युवक चार साल की बच्ची को लेकर चढ़ा। बच्ची लगातार रो रही थी। अरुण को शक हुआ। उसने युवक से बच्ची के बारे में पूछा। पूछताछ होने पर युवक धौला कुंआ पर उतरने की कोशिश करने लगा। उसने भागने की कोशिश की। मार्शल ने बस के दोनों दरवाजे बंद करवा दिए। कंडक्टर की मदद से बदमाश को पकड़ बच्ची को मुक्त कराया। इसमें चार सवारियों ने भी बस स्टाफ की मदद की। फिर मार्शल बस को लेकर दिल्ली कैंट पुलिस चौकी पहुंचे। जहां बदमाश से पूछताछ हुई। जिसमे पता चला कि बदमाश ने बच्ची को निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से उठाया था। घर वालों ने निजामुद्दीन थाने में बुधवार को सुबह ही रिपोर्ट कराई थी। बच्ची मूलरूप से मध्य प्रदेश की है। वह ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन गए थे। इसी दौरान बच्ची के पिता पानी लेने गए और मौका देखकर बदमाश ने बच्ची का अपहरण कर लिया। वह अपनी दो अन्य बहनों के साथ मां के पीछे बैठी थी। बच्ची को फिर से अपने बीच पाकर घर वालों की खुशी का ठिकाना नहीं था। ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ने कहा कि दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार की ओर 13 हजार बस मार्शलों की नियुक्ति की गई है।
क्या कहा मुख्यमंत्री ने
बस मार्शल अरुण कुमार की बहादुरी पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं दिल्ली के बस मार्शलों को बधाई देता हूं कि दिल्ली की बसों को उन्होंने सुरक्षित किया है। बुधवार को बस मार्शल अरुण कुमार की वजह से दिल्ली से एक बच्ची का अपहरण होने से बच गया। बहादुरी दिखाने वाले अरुण कुमार और कंडक्टर वीरेंद्र पर पर मुझे गर्व है। बसों में मार्शलों को नियुक्त करने के पीछे का हमारा मकसद यही था। मार्शल ने जिस तरह से जान की परवाह किए बगैर बच्ची को अपहरणकर्ता के चंगुल से बचाया और बदमाश को सलाखों के पीछे पहुंचाया, वह काबिले तारीफ है।