पुरी में टूटेगी 284 सालों की परंपरा? रथयात्रा पर भी ‘कोरोना संकट’

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  • पुरी में होनी वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर भी लहरा रहे ‘कोरोना संकट’ के बादल
  • बिना परंपराओं को तोड़े कोरोना के खतरे से बचकर किस तरह से रथयात्रा निकाली जाए, इसके विकल्पों पर हो रहा विचार
  • दइतापति निजोग प्रस्ताव- पुरी की सभी सीमाओं को सील करके रथयात्रा कराने की मिले इजाजत
पुरी: कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच देश को लॉकडाउन किया गया है। लेकिन अगर 3 मई के बाद भी लॉकडाउन बढ़ाया जाता है और हालात ठीक नहीं होते हैं तो ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर भी ग्रहण लग सकता है। हालांकि अभी इन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है कि बिना परंपराओं को तोड़े कोरोना के खतरे से बचकर किस तरह से रथयात्रा निकाली जाए।
पुरी के जगन्नाथ मंदिर के सेवायतों के संगठन दइतापति निजोग ने लॉकडाउन के बीच रथयात्रा कराने का निवेदन किया है। पत्र ने जरिए दइतापति निजोग ने कहा है कि देश में अनेकों बार महामारी हुई है, लेकिन कभी भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा बंद नहीं हुई। ऐसे में पुराने इतिहास को ध्यान में रखकर इस साल भी कोरोना वायरस के चलते जारी प्रतिबंध के बीच रथयात्रा की इजाजत मिलनी चाहिए। उन्होंने इस बात का भी प्रस्ताव दिया है कि पुरी की सभी सीमाओं को सील करके रथयात्रा कराई जा सकती है।

मंदिर में चल रही रथ निर्माण की तैयारी
पत्र में कहा गया है कि रथयात्रा में बाहरी लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी किया जाएगा। दइतापति निजोग ने सचिव दुर्गादास महापात्र ने बताया कि पत्र में यह भी कहा गया है कि रथयात्रा में शामिल होने वाले लोगों का पहले मेडिकल चेकअप कराया जाएगा। आपको बता दें कि पुरी में 23 जून को रथ यात्रा निकलनी है। 26 अप्रैल यानी अक्षय तृतीया से इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है। मंदिर में रथ निर्माण की तैयारी भी होने लगी है।

… तो टूटेगी 284 सालों की परंपरा
संभावना इस बात की भी है कि मंदिर के पुरोहितों और सरकार में मंदिर में ही रथयात्रा कराने की सहमति बने। 12वीं सदी में पुनर्निर्मित हुए भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर में 1736 से लगातार रथयात्रा का आयोजन हो रहा है। ऐसे में अगर कोविड-19 के खतरे के चलते इसे निरस्त किया जाता है तो यह 284 सालों में पहली बार होगा।

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