उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर गोगोई जैसे ही शपथ लेने निर्धारित स्थान पर पहुंचे, वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने शोर शराबा शुरू कर दिया। इस पर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि ऐसा व्यवहार सदस्यों की मर्यादा के अनुरूप नहीं है। इसके बाद गोगोई ने सदन के सदस्य के रूप में शपथ ली।
चार महीने पहले शीर्ष न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पद से रिटायर हुए जस्टिस गोगोई ने अपनी नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा था कि संसद में उनकी मौजूदगी विधायिका के सामने न्यायापालिका के रुख को रखने का एक अवसर होगी। उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका और विधायिका को राष्ट्र निर्माण के लिए मिलकर काम करने की ज़रूरत है। गोगोई ने कहा था कि राज्यसभा में अपनी मौजूदगी के ज़रिये वह न्यायपालिका के मुद्दों को असरदार तरीक़े से उठा सकेंगे।
जस्टिस रंजन गोगोई की नियुक्ति को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया गया था। समाजसेवी मधु किश्वर ने एक याचिका दाखिल करके गुहार लगाई है। किश्वर की याचिका में रिटायरमेंट के बाद जजों के किसी पद को स्वीकार करने, कूलिंग ऑफ पीरियड तय करने को लेकर गाइडलाइन तय करने की भी मांग की गई है।