राकेश टिकैत: आंदोलन को नहीं पड़ने दिया जाएगा कमजोर

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नए कृषि सुधार संबंधी कानूनों की वापसी को लेकर किसानों (Farmers) की तरफ से किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच भारतीय किसान यूनियन ने कहा कि इस आंदोलन को कमजोर नहीं पड़ने दिया जाएगा।

हरियाणा के खरक पूर्णिया में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि किसान 70 साल से घाटे की खेती कर रहा है। किसान को एक फसल की कुर्बानी देनी पड़ेगी और इसके लिए किसान तैयार है।

राकेश (Rakesh) टिकैत (Tikait) ने कहा कि अगर फसल ज़्यादा मजदूर लगाकर काटनी पड़ेगी तो भी काटेगा, फसल की वजह से आंदोलन कमजोर नहीं होगा। टिकैत (Tikait) ने आगे कहा- “सरकार को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि किसान अपनी फसल काटने के लिए चले जाएंगे।

अगर वे अड़ेंगे तो हम अपनी फसल में आग लगा देंगे।” टिकैत ने कहा- सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि आंदोन 2 महीने में खत्म हो जाएगा। हम खेती भी करेंगे और प्रदर्शन भी करेंगे। गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर के महीने में केन्द्र सरकार की तरफ से संसद से तीन कृषि सुधार संबंधी कानूनों को विपक्ष के कड़े विरोध के बीच पास कराया गया था।

इसके बाद से खासकर पंजाब और हरियाणा में इन कानूनों के विरोध में भारी प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब तीन महीने से किसान हजारों की संख्या में एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसको लेकर सरकार के साथ किसान नेताओं की अब तक कई दौर की बैठक हो चुकी है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल पाया।

किसानों को डर है कि इन तीन नए कानूनों के जरिए सरकार एमएसपी और मंडी व्यवस्था को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के भरोसे छोड़ दिया जाएगा। जबकि, सरकार का तर्क है कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में भारी निवेश होगा और किसानों की आय बढ़ेगी।

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