- लॉकडाउन से वयस्कों की तरह बच्चे भी अवसाद से पीड़ित हो रहे हैं
- जिसके कारण बच्चों में मानसिक तनाव का खतरा है
- पैरेंट्स अपने बच्चों का टीचर और एक अच्छा दोस्त बनने का संकल्प लें
- उन्हें इस माहमारी खत्म होने के बाद छिपे गंभीर प्रभाव से भी बचाएं
- हमेशा ख्याल रखें कि बिल्कुल प्रामाणिक जानकारी दें
- बच्चों की जिद या दूसरे क्रियाकलाप पर गुस्सा हो जाएं
पूरा देश लॉकडाउन में है और लोगों के मन में कोरोना वायरस को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं. देश के जाने-माने डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स इस मुश्किल घड़ी से निपटने में आपकी मदद कर रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी में बच्चों की सेहत को लेकर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीषा यादव (कंसलटेंट, इंडियन स्पाइनल इंजूरी सेंटर) ने भी India’s18 के साथ अपने कुछ विचार साँझा किये हैं।
डॉ. मनीषा यादव से जाने कोरोना महामारी में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य कैसे रखें खास ख्याल:-
कोरोना महामारी (कोविद -19) के कारण इंसान के स्वास्थ्य पर जितना बुरा असर पड़ने का अनुमान लगाया गया था उससे कहीं व्यापक असर देखने को मिला है। पूरी दुनिया इस महामारी की चपेट में है और दो लाख लोगों से अधिक की जान जा चुकी है। यह महामारी सिर्फ बुजुर्ग और युवाओं के लिए ही नहीं बल्कि बच्चों के मानिसक स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए दुनिया भर में किए गए लॉकडाउन से वयस्कों की तरह बच्चे भी अवसाद से पीड़ित हो रहे हैं। हालांकि, इस सब के बीच सामाजिक चिंता और खाने की कमी के कारण पैदा हुए मुद्दे को नजरअंदाज किया जा रहा है जबकि यह वायरस के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के साथ है।
कोरोना महामारी से युवाओं के दिमाग और सोच पर बहुत ही बुरा असर हुआ है। यह संभव है कि युवा वायरस से लड़ने के लिए शारीरिक रूप से काफी मजबूत हो सकते हैं लेकिन उनका भोला-भाला दिमाग शायद इस मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का सामना करने में सक्षम न हों। इस माहमारी का बुरा असर खुली आंख से जो दिखाई दे रहा है उससे कहीं ज्यादा गंभीर है। इसलिए यह जरूरी है कि बच्चों के साथ बातचीत करते समय माता-पिता विशेष सावधानी बरतें।
जब हम बच्चों के बारे में बात करते हैं तो वे केवल कोरोना संक्रमण के प्रति संवेदनशील नहीं होते हैं बल्कि इस महामारी से पैदा हुए अनिश्चितता को लेकर भी वह डरे और चिंतत होते हैं। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि कोविड-19 महामारी से हम न केवल बच्चों के जीवन को सुरक्षित रखें बल्कि उन्हें इस माहमारी खत्म होने के बाद छिपे गंभीर प्रभाव से भी बचाएं। इसके लिए जरूरी है कि हम बच्चों के साथ जानाकरी साझा करने को लेकर बेहद सर्तक रहें। काई भी डरावनी या गलत जानकारी बच्चों के साथ साझा न करें।
मासूम सवालों के जवाब कैसे दें?
अब सवाल आता है कि कोरोना से जुड़े बच्चों के मासूम सवालों का जवाब कैसे दें। बच्चों को कोरोना से जुड़े सवालों की जानाकरी देने में हमेशा ख्याल रखें कि बिल्कुल प्रामाणिक जानकारी दें। साथ ही यह ख्याल रखें कि वह उस जानकारी से कहीं असुरक्षित तो महसूस नहीं कर रहें। अगर ऐसा महसूस हो तो सरकार और समाज को द्वारा इस संकट से निकलने के लिए किए जा रहे सकारात्मक कार्यों का उदाहरण दें। लॉकडान के दौरान जब बच्चें अपने साथियों को याद करें तो उनके प्रति संवेदनशील बने रहें जिससे वो अकेला महसूस न करें। उन्हें अपनी निगरानी में वीडियो कॉल करने दें।
उन्हें अपने दैनिक दिनचर्या और गतिविधियों और नए शौक को साझा करने से न रोंके। इस गंभीर वक्त का इस्तेमाल आप अपने बच्चों के साथ संबंध को और मजबूत बनाने के लिए भी करें। मेट्रो शहरों में भागम-भाग भरी जिंदगी में यह अभी तक संभव नहीं था। लॉकडाउन के कारण मिले वक्त को अवसर के रूप में लें और अपने बच्चों के साथ जो चाहते हैं जैसे केक बनाना या पेंटिंग करना करें। ऐसा करने से वे अच्छा महसूस करेंगे और अपनी भावनाओं को आपके साथ साझा करेंगे।
एक माता-पिता के लिए यह भी जरूरी है कि वह इस संकट के समय में अपने बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए किस तरह सुरक्षित माहौल तैयार करता है। उस माहौल से बच्चों पर क्या असर हो रहा है। बच्चों को कोरोना महामारी से बचने के उपाय जरूर बताएं। साथ ही कोरोना महामारी खत्म होने के बाद स्वच्छता बनाएं रखने के महत्व से भी अवगत कराएं।
उत्तरदायी देखभाल का अभ्यास करें
इस गंभीर महामारी को रोकने के लिए हम सब बहुत कुछ कर रहे हैं जिससे आने वाले दिनों में तनाव के स्तर में वृद्धि की संभावना है। इसलिए संभव है कि आने वाले दिनों में हम बच्चों की जिद या दूसरे क्रियाकलाप पर गुस्सा हो जाएं। इससे बचने के लिए उनको इस दौरान कोई गलत आदत सीखने से रोंके। हमेशा याद रखें कि आप अपने बच्चों के किसी काम पर गुस्सा न हों बल्कि प्यार से उनको समझाएं। यही अच्छे पालन-पोषण की कुंजी है।