श्रीनगर : कश्मीर में भारी हिमस्खलन की वजह से लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार रात से कश्मीर घाटी में हिमस्खलन की अलग-अलग घटनाओं में कम से कम 12 मौतें हो चुकी हैं। अब तक बीएसएफ (BSF) के एक और सेना के 5 जवानों के शहीद होने की जानकारी है। गांदरबल जिले के सोनमर्ग में जहां इसकी चपेट में आकर पांच नागरिकों ने जान गंवाई है, वहीं कुपवाड़ा में तीन जवान शहीद हो गए हैं। हिमस्खलन की चपेट में आकर पिछले चार साल के दौरान 74 भारतीय जवान शहीद हो चुके हैं।
6 जवानों समेत 12 ने गंवाई जान
पिछले हफ्ते नियंत्रण रेखा (LOC) के पास पुंछ में हुए हिमस्खलन में सेना के एक पोर्टर की मौत हो गई थी। पिछले कुछ दिनों से कश्मीर और लद्दाख के ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में मध्यम से भारी बर्फबारी हो रही है, जिसकी वजह से मौसम विभाग ने आगे भी हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है। नौगाम सेक्टर में सोमवार रात बीएसएफ की चौकी बर्फीले तूफान में घिर गई, जहां 6 जवान बचाए गए लेकिन एक ने दम तोड़ दिया। मंगलवार को सेना की एलओसी से सटी माछिल चौकी के कई जवान तूफान में दबे। वहां 5 जवान शहीद हो गए। गांदरबल और गुरेज में तूफान ने 6 आम लोगों की जान ली।
4 साल में 74 जवान शहीद
पिछले चार साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 74 जवान हिमस्खलन की वजह से शहीद हो गए। 2016 में हिमस्खलन की चपेट में आकर 18 जवान शहीद हो गए। वर्ष 2017 में सबसे ज्यादा 30 जवान बर्फीले तूफान का शिकार हुए। 2018 में 6 जवानों को हिमस्खलन की वजह से शहादत देनी पड़ी, वहीं 2019 में भी 20 जवानों ने अपनी जान गंवाई।