भारत और चीन तय करें कि उन्हें मध्यस्थता कराने के लिए कोई चाहिए या नहीं: संयुक्त राष्ट्र

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  • भारत-चीन के बीच जारी सीमा विवाद को लेकर बोला संयुक्त राष्ट्र
  • महासचिव के प्रवक्ता ने कहा, तनाव वाले कदम उठाने से बचें देश
  • भारत चीन खुद करें फैसला, मध्यस्थता के लिए मदद चाहिए या नहीं
  • अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की थी मध्यस्थता की पेशकश
संयुक्त राष्ट्र: भारत और चीन के बीच ‘जोर पकड़ रहे सीमा विवाद’ को समाप्त करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश के बीच संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह ‘विचार करना’ महासचिव का काम नहीं है कि इस स्थिति में किसे मध्यस्थता करनी चाहिए, लेकिन उन्होंने सभी पक्षों से तनाव पैदा कर सकने वाले कदमों से बचने की अपील की है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बुधवार को कहा, ‘… यह निर्णय लेना हमारा नहीं, बल्कि मामले में शामिल पक्षों का काम है कि वे किसे मध्यस्थ बनाना चाहते है। हम हालात पर नजर रख रहे हैं और हम सभी संबंधित पक्षों से अपील करेंगे कि वे हालात को और तनावपूर्ण बनाने वाले कदम उठाने से बचें।’

ट्रंप ने दिया था मध्यस्थता का प्रस्ताव
दुजारिक से पूछा गया कि संयुक्त राष्ट्र और महासचिव भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव को लेकर कितना चिंतित हैं। उनसे यह भी सवाल किया गया था कि महासचिव के अनुसार ट्रंप इस स्थिति में अच्छे मध्यस्थ बन सकते हैं या नहीं। दरअसल, ट्रंप ने भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में बुधवार को अचानक मध्यस्थता करने की पेशकश की और कहा कि वह दोनों पड़ोसी देशों की सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के दौरान तनाव कम करने के लिए ‘तैयार, इच्छुक और सक्षम’ हैं। ट्रंप ने पहले कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच भी मध्यस्थता की पेशकश की थी, लेकिन नई दिल्ली ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

निर्माणकार्य को लेकर विवाद
करीब 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) भारत और चीन के बीच सीमा है। एलएसी पर लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में अनेक क्षेत्रों में भारत और चीन दोनों की सेनाओं ने हाल ही में सैन्य निर्माण किए हैं। इससे गतिरोध की दो अलग-अलग घटनाओं के दो हफ्ते बाद भी दोनों के बीच तनाव बढ़ने और दोनों के रुख में सख्ती का साफ संकेत मिलता है।

LAC पर भारत की बड़ी तैयारी

  • भारत ने लद्दाख सीमा पर बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर काफी मजबूत कर लिया है। इससे चीन तिलमिलाया हुआ है। भारत लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक 3,488 किलोमीटर लंबे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के ऊंचाई वाले विवादित क्षेत्रों में रोड और एयर कनेक्टिविटी के मामले में चीन के दबदबे को लगातार चुनौती दे रहा है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एग्‍जीक्‍यूटिव बोर्ड की कमान भारत के हाथ में आ चुकी है। कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई। कई रिपोर्ट्स हैं कि शुरुआत में चीन ने इस वायरस के मामलों को छिपाया। धीरे-धीरे कोरोना पूरी दुनिया में फैल गया और आज हालात ये हैं कि तीन लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। चीन की जवाबदेही तय करने की डिमांड दुनिया के कई देशों ने उठाई। अब चीन पर शिकंजा कसने की शुरुआत हो गई है। वहीं चीन का बचाव करने वाले WHO की भूमिका भी तय होगी। भारत समेत दुनिया के 62 देशों ने कोरोना पर एक स्‍वतंत्र जांच की मांग की है। अगर WHO की जांच चीन के खिलाफ शुरू होगी तो कई छिपे तथ्य सामने आएंगे।
  • ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग-वेन के शपथ-ग्रहण समारोह में बीजेपी के दो सांसदों के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिरकत से चीन को मिर्ची लग गई है। उसने भारत से अपने ‘आंतरिक’ मामलों में दखल से बचने को कहा है। बुधवार को ताइवान की राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह था। दिल्ली से बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी और राजस्थान के चुरू से सांसद राहुल कासवान ने इसमें तकनीक के जरिए शिरकत की थी और उन्हें दूसरे कार्यकाल की बधाई दी थी। समारोह में शामिल हुईं 41 देशों की 92 हस्तियां ताइवान की राष्ट्रपति के शपथ समारोह में 41 देशों की 92 हस्तियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिरकत की थी। इनमें भारत से दो सांसदों के अलावा अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ भी शामिल थे। ताइवान की आजादी की समर्थक साई इंग-वेन ने हाल में दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली। ताइवान के अमेरिका का भी समर्थन हासिल है। ऐसे में भारत यहां भी चीन के खिलाफ चक्रव्यूह बना सकता है।
  • South China Sea में तेल के उत्खनन को लेकर चीन और मलेशिया में जारी टकराव के बीच अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ चीन के जंगी जहाज भी पहुंच गए हैं। भारत का मानना है कि दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाले संचार के समुद्री संपर्क हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता, समृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। मौजूदा स्थिति में भले ही भारत अपने इस रुख में बदलाव न करें लेकिन अगर चीन कोई हिमाकत करेगा तो भारत के रुख में भी बदलाव आ सकता है। साउथ चाइना सी के अधिकांश भूभाग पर चीन अपना दावा करता है जबकि पड़ोसी देश फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और ब्रुनेई, चीन के इस दावे को नकारते हैं। हाल में ही चीन के बढ़ते दखल को देखते हुए इंडोनेशिया ने दक्षिणी चीन सागर में मौजूद एक द्वीप पर अपने लड़ाकू विमानों को तैनात कर दिया था।
  • चीन से दुनिया का पसंदीदा मैन्युफैक्चरिंग हब होने का तमगा छिनने के कगार पर है। कोरोना वायरस महामारी के कारण पैदा हुई दिक्कतों के बीच लगभग 1000 विदेशी कंपनियां सरकार के अधिकारियों से भारत में अपनी फैक्ट्रियां लगाने को लेकर बातचीत कर रही हैं। इनमें से कम से कम 300 कंपनियां मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइसेज, टेक्सटाइल्स तथा सिंथेटिक फैब्रिक्स के क्षेत्र में भारत में फैक्ट्रियां लगाने के लिए सरकार से सक्रिय रूप से संपर्क में हैं। अगर बातचीत सफल होती है तो यह चीन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। ये कंपनियां भारत को वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में देखती हैं और सरकार के विभिन्न स्तरों के समक्ष अपना प्रस्ताव पेश कर चुकी हैं, जिनमें विदेश में भारतीय दूतावास तथा राज्यों के उद्योग मंत्रालय शामिल हैं।
  • लद्दाख में भारत को घेरने में जुटे चीन को हॉन्ग कॉन्ग में तगड़ा झटका लगा है। कई बार हिंसक हो चुके विरोध प्रदर्शनों को ध्यान में रखते हुए चीनी सरकार ने हॉन्ग-कॉन्ग के लिए नैशनल सिक्यॉरिटी कानून को संसद में पेश किया है। जिसके खिलाफ हॉन्ग कॉन्ग में सड़कों पर लाखों लोग उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं चीन समर्थित पुलिस लोकतंत्र की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों का सख्ती के साथ दमन कर रही है।

लद्दाख, सिक्कम में टेंशन
भारत ने कहा है कि चीनी सेना लद्दाख और सिक्किम में एलएसी पर उसके सैनिकों की सामान्य गश्त में अवरोध पैदा कर रही है। भारत ने चीन की इस दलील को पूरी तरह खारिज कर दिया कि भारतीय बलों द्वारा चीनी पक्ष की तरफ अतिक्रमण से दोनों सेनाओं के बीच तनाव बढ़ गया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की सभी गतिविधियां सीमा के इसी ओर संचालित की गयी हैं और भारत ने सीमा प्रबंधन के संबंध में हमेशा बहुत जिम्मेदाराना रुख अपनाया है।

प्रतिबद्ध है भारत
उसी समय विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पिछले सप्ताह एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा था, ‘भारतीय सैनिकों द्वारा पश्चिमी सेक्टर या सिक्किम सेक्टर में एलएसी के पार गतिविधियां संचालित किए जाने संबंधी बात सही नहीं है। भारतीय सैनिक भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा से पूरी तरह अवगत हैं और इसका निष्ठापूर्वक पालन करते हैं।’

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