Fight against Corona: सुप्रीम कोर्ट में आई वित्तीय आपातकाल लागू करने की याचिका

Supreme-Court-of-india.png

नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना वायरस महामारी की वजह से लॉकडाउन के मद्देनजर देश में वित्तीय आपातकाल लागू कराने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि लॉकडाउन की वजह से देश में आर्थिक गतिविधियां ठहर गई हैं। याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न अधिकारी कई कदम उठा रहे हैं जिससे घबराहट पैदा हो गई है। ऐसी स्थिति में संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल लागू करने की जरूरत है।

वकील विराग गुप्ता के माध्यम से सेंटर फॉर अकाउंटेबलिटी एंड सिस्टेमेटिक चेंज (सीएएससी) ने अपनी याचिका में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की है और इस दौरान अनेक पाबंदियां लगाई गई हैं। याचिका में कहा गया है, ‘विभिन्न अधिकारियों द्वारा अलग-अलग कदम उठाए जाने से घबराहट और अराजकता पैदा हो रही है। यह कोविड-19 जैसी गंभीर समस्या का समाधान नहीं हो सकता। लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां ठहर गई हैं, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत देश में वित्तीय आपातकाल लागू करने की आवश्यकता है।’याचिका में लॉकडाउन के दौरान केंद्र को बिजली, पानी, गैस, टेलीफोन, इंटरनेट जैसी आवश्यक सेवाओं के बिलों की वसूली और ईएमआइ की अदायगी निलंबित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इसी तरह, राज्यों की पुलिस और संबंधित अधिकारियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों का सख्ती से पालन करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है ताकि देश में आवश्यक सेवाएं बाधित न हों।

याचिका के अनुसार कोविड-19 की वजह से देश की मौजूदा स्थिति हो सकता है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास की सबसे बड़ी आपात स्थिति हो, इसलिए इस पर केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच एकीकृत कमान के माध्यम से संविधान के प्रावधानों के अंतर्गत विचार किया जाए।

याचिका में दलील दी गई है, ‘ऐसा करना सिर्फ कोरोना वायरस को इसके खिलाफ जंग में हराने के लिए ही आवश्यक नहीं है, बल्कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भी जरूरी है। इस लॉकडाउन की वजह से इस समय आवागमन की आजादी के अधिकार से संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अधिकारों के साथ ही लगभग सारे मौलिक अधिकार इस समय निलंबित हैं।’ इस संगठन ने अपनी याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया है।

Share this post

PinIt

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    scroll to top