नई दिल्ली : सीएए (CAA), एनआरसी(NRC) और एनपीआर(NPR) के खिलाफ अब निजामुद्दीन से भी विरोध का झंडा बुलंद हो गया है। महिलाएं सड़कों पर आ गई हैं, जिनके साथ उनके बच्चे हैं। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन महिलाएं पीछे हटने के बजाय धरना पर बैठ गईं।
लोगों ने रविवार शाम 4 बजे के करीब लोधी रोड के शिव मंदिर के ग्राउंड में झंडा फहराने का कार्यक्रम आयोजित किया था। रिटायर्ड सीजेआई केजी बालकृष्णन से ध्वाजारोहण कराया गया था। कार्यक्रम खत्म होने के बाद आयोजक यूनाइटेड वॉयस ऑफ इंडिया के कार्यकर्ता दरियां और कुर्सियां आदि समेटने लगे, तो महिलाओं ने एतराज जताते हुए सीएए (CAA) के खिलाफ आंदोलन की हुंकार भर दी।
वे मंदिर ग्राउंड से बाहर आकर सड़क की सर्विस लाइन और पटरी पर बैठ गईं। सीएए (CAA) के खिलाफ नारेबाजी होने लगी। महिलाओं का कहना है कि पूरे देश में सीएए (CAA) के खिलाफ आंदोलन छिड़ा हुआ है, जिसका समर्थन हमें भी करना चाहिए, क्योंकि सीएए धर्म के आधार पर बंटवारा करता है। देखते-देखते और भी लोग आकर बैठने लगे। रात 12 बजे के बाद धरने में बैठने वालों की संख्या कुछ कम हुई।
महिलाएं एक तरफ शेल्टर लगाने लगी थीं। उसी दौरान पुलिस ने हस्तक्षेप करते हुए उन्हें शेल्टर लगाने से रोका। महिला पुलिसकर्मियों को भी बुला लिया गया था। आंदोलनकारी महिलाओं का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें धक्का देकर वहां से हटाने की कोशिश की। जिसके बाद और महिलाएं मौके पर पहुंच गईं, जिसके बाद पुलिस वहां से हट गई। महिलाओं का कहना है कि रात को लाइट भी काट दी गई थी। उनकी मांग है कि जब तक सीएए वापस नहीं होता, तब तक वे धरने पर बैठी रहेंगी। पूरे देश में सीएए के खिलाफ आंदोलन है तो हम क्यों पीछे रहे। आंदोलन करने के खतरे हमें मालूम हैं, इसलिए आंदोलन की कमान हमने खुद संभाली है।