नई दिल्ली: दिल्ली (Delhi) में एक सितंबर से पुरानी शराब नीति लागू हो गई है जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। शराब की एमआरपी पर छूट, और ‘एक के साथ एक फ्री’ जैसे ऑफर अब उपलब्ध नहीं हैं।
इसके अलावा थोक खरीद पर भी कोई छूट नहीं मिल रही है। निजी दुकानों की जगह अब दिल्ली (Delhi) सरकार (Goverment) की चार एजेंसियां शराब के सभी ठेके चला रही हैं। इन दुकानों का औसत आकार निजी दुकानों की तुलना में छोटा है।
हालांकि अब भी एक मामले में स्पष्टता की कमी है, जो ड्राई डे की संख्या को लेकर है। नवंबर 2021 में ड्राई डे को 21 से घटाकर तीन कर दिया गया था। दिल्ली के एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘नई नीति के तहत ड्राई डे की संख्या अचानक नहीं बदल सकती क्योंकि ड्राई डे दिल्ली आबकारी अधिनियम, 2009 के जरिए शासित होते हैं न कि नीति के माध्यम से।’
हर साल तय होती है ड्राई डे की संख्या
उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार आमतौर पर साल के अंत में ड्राई डे की संख्या के बारे में निर्णय लेती है। इस फैसले के अनुसार हर साल ड्राई डे की संख्या निर्धारित की जाती है।
ड्राई डे की संख्या तभी बदलेगी जब सरकार इस संबंध में कोई निर्णय लेगी।’ ड्राई डे में कमी हाल के महीनों में चुनी हुई सरकार और उपराज्यपाल के बीच भी विवाद का एक कारण रही है।
ब्रांड लाइसेंस शुल्क बढ़ा
2021-22 की नीति के तहत एक क्षेत्र के लिए लाइसेंस शुल्क लगभग 250 करोड़ रुपए था और एक क्षेत्र में 27 शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई थी। नई नीति के तहत थोक विक्रेताओं के लिए कमीशन 12 प्रतिशत से घटकर पुरानी नीति के तहत 5 फीसदी हो गया है।
ब्रांड लाइसेंस शुल्क, बाजार में उपस्थिति दर्ज कराने के लिए किसी ब्रांड को जो भुगतान करना पड़ता है, वह अब 25 लाख हो गया है। वहीं 2021-22 की नीति के तहत यह एक लाख रुपए था।