नई दिल्ली: INX मीडिया केस में अरेस्ट पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम (Chidambaram) की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उन्हें जमानत दे दी है। कोर्ट ने उन्हें शर्तों के साथ जमानत दी है, उनका पासपोर्ट जब्त रहेगा। ताकि वह देश छोड़कर ना जा पाएं। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि जेल से बाहर आने के बाद वह मीडिया से बात नहीं करेंगे। प्रेस इंटरव्यू और मीडिया में बयान देने पर रोक लगा दी गई है। उन्हें दो लाख के बॉन्ड और दो लाख के मुचलके पर जमानत दी गई है। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा, ‘अपराध की गंभीरता को हर मामले के तथ्यों और परिस्थितियों से निपटना पड़ता है। आर्थिक अपराध गंभीर अपराध हैं। न्यायालयों को मामले की प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना होगा। अपराध की ‘गंभीरता’ को ध्यान में रखने के लिए दी जाने वाली शर्तों में से एक है निर्धारित सजा। यह ऐसा नियम नहीं है कि हर मामले में जमानत से इनकार किया जाना चाहिए। निष्कर्ष यह है कि किसी अन्य मामले की मिसाल के आधार पर जमानत देने या जमानत से इंकार करने की जरूरत नहीं है। केस टू केस आधार पर विचार होना चाहिए। ‘साथ ही कहा, ‘दिल्ली HC ने अपराध के गंभीरता से संबंधित जमानत को सही ठहराया था। हालांकि, हम मामले की मेरिट पर दिल्ली HC की टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं। वर्तमान परिस्थितियों में हम सीलबंद कवर दस्तावेज़ों को खोलने में रुचि नहीं रखते थे। लेकिन जब इसे दिल्ली HC द्वारा खोला गया था तो हमने सीलबंद कवर की सूचना ले ली है। पूर्व में जमानत के लिए मना कर दिया गया था और अपीलकर्ता 40 दिनों के लिए पूछताछ के लिए उपलब्ध था।’ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में उन्हें 5 सितंबर को अरेस्ट किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने गत गुरुवार को मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान ईडी ने अदालत में कहा कि वह उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को भी अरेस्ट करना चाहती है और वे प्रॉटेक्शन हटने का इंतजार कर रहे हैं। बता दें, उनके खिलाफ सीबीआई ने भी केस दर्ज किया था जिसमें उन्हें जमानत मिल चुकी है। अब वह जेल से बाहर आ जाएंगे। जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की तीन जजों की बेंच फैसला सुनाया है। चिदंबरम ने उनकी जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 नवंबर के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। कांग्रेस के इस 74 वर्षीय नेता की जमानत अपील पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया था कि पूर्व वित्त मंत्री हिरासत में होने के बावजूद महत्वपूर्ण गवाहों पर अपना ‘प्रभाव’ रखते हैं जबकि पूर्व वित्त मंत्री का कहना था कि जांच एजेन्सी इस तरह के निराधार आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा और करियर ‘बर्बाद’ नहीं कर सकती है।